गोरखपुर के सूरजकुंड धाम पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई आर्यभट्ट जयंती

यूपी तक

• 10:30 AM • 15 Apr 2024

भारत के महान ज्योतिषविद् और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट की जयंती गोरखपुर के सूरजकुंड धाम (पोखरा) पर धूमधाम से मनाई गई.

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भारत के महान ज्योतिषविद् और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट की जयंती गोरखपुर के सूरजकुंड धाम (पोखरा) पर धूमधाम से मनाई गई. इस भव्य समारोह में अलग-अलग तबके के गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में चिकित्सा, शिक्षा, कानून, व्यापार और कृषि से जुड़े समाज के हर के वर्ग के लोगों की मौजूदगी देखी गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्या भूषण पांडेय ने मां सरस्वती और आर्यभट्ट की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. 

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आर्यभट्ट जयंती समारोह के संयोजक गजेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि दुनिया को शून्य और दशमलव का ज्ञान देने वाले इस महान गणितज्ञ की जयंती 19 वर्षों से अनवरत मनाई जा रही है. आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी में हुआ था. उन्होंने महज 23 साल की उम्र में 'आर्यभटीय' ग्रंथ लिखा था. उनकी प्रेरणा से पिछले दो वर्षों से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के 100 नंबर वॉर्ड के सामने हर रविवार को सैकड़ों लोगों को नि:शुल्क भोजन कराया जाता है. इस वर्ष पालतू पशुओं गाय, भैंस, कुत्ता और बिल्ली के लिए नि:शुल्क दवा भी बांटी गई है. उन्होंने कहा कि मानव और पशु सेवा के लिए हमारा संकल्प दृढ है. 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विद्या भूषण पांडेय ने बताया कि आर्यभट्ट ने विश्व में सबसे पहले यह अनुमान लगाया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है. उन्होंने ही गणित की मूल अवधारणाओं का विकास किया था, जिसके आधार पर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां हासिल हुई हैं. उन्होंने एक नई पद्धति का आविष्कार किया, जिसके आधार पर अक्षरों और मात्राओं से संख्या बताने की विधि निकाली गई. कार्यक्रम संचालक ईश्वर चन्द्र गुप्ता ने कहा कि गीतिकापद, गणितपद, कलाक्रियापद, गोला पद की रचना करने वाले महान मनीषी का सम्मान देव-कोटि में किया जाता है. वे देवताओं ओर ऋषियों के साथ स्मरण किए जाते हैं. 

मुख्य वक्ता डॉ. व्यास मुनि मिश्र ने कहा कि आर्यभट्ट का चिंतन एक गणितज्ञ और ज्योतिषी के रूप में इतना महत्वपूर्ण था कि प्रथम भारतीय उपग्रह 'आर्यभट्ट' का नाम उनके सम्मान में रखा गया. संजय दूबे, सत्येंद्र पांडेय और हंशनाथ यादव ने बताया कि आर्यभट्ट के सम्मान में नैनीताल में एक खगोल भौतिकी संस्थान का नाम 'आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान' रखा गया है. यूनेस्को मुख्यालय पेरिस में आर्यभट्ट की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है. इस कार्यक्रम में अविनाश भट्ट, अजय शर्मा, संजय भट्ट और अभिषेक कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में आर्यभट्ट जयंती समारोह के संयोजक गजेंद्र कुमार मिश्र ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया.

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