Uttar Pradesh News : दशहरा उत्सव (Dussehra 2023) आज पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. इस तरह सत्य की असत्य पर जीत हुई थी. पूरे देश में इस दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी उत्तर प्रदेश में एक ऐसा शहर भी है, जहां रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि रावण की पूजा की जाती है. उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur News) में रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि पूजा जाता है. आखिर ऐसा क्यों और क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानते हैं.
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होती है रावण की पूजा
कानपुर में विजयदशमी के दिन पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया जाता है. उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है. इस मंदिर के पुजारियों और शास्त्र विद्वानों का मानना है कि रावण को जब भगवान् राम ने युद्ध के बाद मारा था तो उनका ब्रह्म बाण रावण की नाभि में लगा था. बाण लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजन योग्य बना दिया. यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो. क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा. रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है.
साल में सिर्फ एक दिन खोला जाता है दशानन मंदिर
साल 1868 में कानपुर में बने इस मंदिर में तबसे आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है. लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इन्तजार करते हैं. मंदिर खुलने पर यहां रावण की पूजा अर्चना बड़े धूम-धाम से की जाती है. इसी के साथ विधि-विधान से रावण की आरती भी गाई जाती है. कानपुर में मौजूद रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं और लोग इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं.
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