समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा और फिर लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के गम को अभी तक भुला नहीं पाएं हैं, इसलिए आए दिन वह चुनाव आयोग पर इस हार का ठीकरा फोड़ते रहते हैं. वहीं शनिवार को फिर से अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसपर राजनीति तेज हो गई है.
ADVERTISEMENT
लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश ने ये आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में हर सीट से यादवों और मुसलमानों के 20 हजार वोट कट गए. उन्होंने कहा कि बीजेपी को सपा की जीत दिलाने के लिए पूरी मशीनरी ने मिलकर काम किया है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, ‘हमें चुनाव आयोग से सबसे ज्यादा उम्मीद थी. लेकिन बीजेपी और उसके पन्ना प्रभारी के कहने पर उन्होंने जानबूझकर हर विधानसभा सीट पर 20 हजार यादव और मुस्लिम मतदाताओं के नाम काट दिए. हम पहले भी कह चुके हैं और आज भी कहते हैं कि चेक कर लीजिए और देखिए 20-20 हजार वोट उड़ा दिए गए हैं. कई नाम छूट गए. कई लोगों के बूथ यहां से दूसरे में बदले गए.”
वहीं अखिलेश यादव के इस पर भाजपा नेता और मंत्री दयाशंकर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि वह अपने पिताजी की विरासत संभाल नहीं पाए, 4 चुनाव में लगातार हारे हैं और अभी भी जातिगत समीकरणों से ऊपर नहीं उठ पा रहे. 2019 में मायावती के साथ मिले लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ, सपा जाति के आधार पर राजनीति करती है.
इस पर सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी समाजवाद की बात करती है और ये सच है कि बीजेपी के कहने पर मुसलमान और यादवों के वोट काटे गए. इस बात में कोई दो राय नहीं है. बीजेपी केवल जाति धर्म की राजनीति करती है और फिर सपा पर आरोप लगाती है. अखिलेश यादव ने जो बात कहीं उसमें कुछ गलत नहीं था बीजेपी ने अपने मशीनरी का उपयोग करके चुनाव में गलत इस्तेमाल किया है. वहीं इस मामले पर राजनीतिक विश्लेशक रतनमणि लाल कहते हैं कि पिछले चुनाव की हार के बाद सपा ने समीक्षा जरूर की होगी जिसके चलते अखिलेश यादव का मुस्लिम और यादव फार्मूले पर फिर से चुनाव में इस्तेमाल करने की जरूर दिखाई दे रही है.
ADVERTISEMENT