अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर और काशी कॉरिडोर के निर्माण के साथ ही यूपी की राजधानी लखनऊ को भी अपनी प्राचीन सांस्कृतिक पहचान के लिए एक बार फिर जाना जाएगा. जिला प्रशासन ने जो योजना बनायी है उसके तहत यहां न सिर्फ लक्ष्मण की 151 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई जा रही है बल्कि लक्ष्मण का एकमात्र मंदिर भी यहां बनने वाला है.
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इस बीच, फिर से ये मांग जोर पकड़ने लगी है कि लखनऊ का नाम बदलकर इसका वास्तविक नाम ‘लक्ष्मणपुरी’ कर दिया जाए.
अयोध्या में न सिर्फ भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है बल्कि नई अयोध्या भी बनाने के लिए योगी सरकार कई फैसले ले रही है. इस बीच लखनऊ के इस जगह को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है.
लखनऊ नगर निगम ने इससे कुछ दूरी पर गोमती नदी के किनारे बने मैदान में विशाल लक्ष्मण प्रतिमा बनाने की कार्य योजना पर काम शुरू कर दिया है. ये प्रतिमा लखनऊ की हृदयस्थली हनुमान सेतु से दिखाई देगी. 151 फीट ऊंची प्रतिमा में मुख्य प्रतिमा के अलावा ‘प्रेरणा स्थल’ जाएगा, जिसमें राम के भाई लक्ष्मण के जीवन से जुड़ी बातों को दिखाते हुए ‘प्रेरणा स्थल’ का निर्माण किया जाएगा.
इधर, अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण से वो लोग भी सक्रिय हो गए हैं जो लखनऊ शहर की पहचान लक्ष्मण के नाम पर करने के लिए काफी समय से मांग कर रहे हैं. लखनऊ में भव्य लक्ष्मण मंदिर बनाने के लिए एक संगठन ने काम शुरू कर दिया है. ’लक्ष्मण पीठ सेवा न्यास’ ने शहर के गोहनकलां गांव में एक एकड़ में लक्ष्मण मंदिर के लिए भूमि पूजन किया है.
“जैसे लोग राम जन्मभूमि अयोध्या को श्रीराम के नाम से जानते हैं वैसे ही लक्ष्मणपुरी यानि लखनऊ को लक्ष्मण के नाम से जानें, क्योंकि लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है पर नाम किसी नवाब के नाम पर नहीं लक्ष्मण जी के नाम पर ही है.”
धीरेंद्र वशिष्ठ, अध्यक्ष, लक्ष्मण पीठ सेवा न्यास
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि लखनऊ का नाम बदला जाए.
वैसे लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुर करने की मांग कोई नयी नहीं है. पहले भी ये मांग हुई थी और तीन साल पहले नगर निगम में इसे लेकर एक प्रस्ताव भी आया था. उस समय ये बात आगे नहीं बढ़ पाई थी, पर इसके बाद यूपी में फैजाबाद का नाम हटा और पूरे जिले का नाम अयोध्या हो गया. इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया. अब लोगों का कहना है कि राम नगरी को सांस्कृतिक भव्यता मिल रही है तो अब लक्ष्मण की नगरी को भी उनके नाम के अनुसार ढाला जाना चाहिए.
एक वर्ग का कहना है कि लखनऊ की पहचान सिर्फ नवाबों के शहर के रूप में ही नहीं, बल्कि इसका इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि राम के भाई लक्ष्मण ने यहां एक टीले पर तपस्या की थी. आम धारणा है कि अभी उसी टीले पर शहर की मुख्य मस्जिद है जिसे ‘टीले वाली मस्जिद’ कहा जाता है.
लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया कहती हैं कि पहले वहीं लक्ष्मण प्रतिमा लगाने के लिए सोचा गया था लेकिन वो जगह छोटी है और प्रशासन किसी विवाद में भी नहीं पड़ना चाहता था. अब दूसरी जगह गोमती किनारे भव्य प्रतिमा लगेगी क्योंकि उद्देश्य विवाद नहीं बल्कि लखनऊ की पहचान को लक्ष्मण से जोड़ना है.
उनके घर में वो मॉडल भी रखा हुआ है जैसी प्रतिमा लगायी जाएगी. अगले महीने से ये काम शुरू हो जाएगा. अगर लखनऊ का नाम बदलने का प्रस्ताव आता है तो वो जरूर उसे पास कर मुख्यमंत्री को भेजेंगी. मेयर कहती हैं कि लखनऊ को अयोध्या का गेटवे बनाना है.
इधर, नाम बदलने की मांग हो रही है तो उधर विरोध के स्वर भी उठने शुरू हो गए हैं. मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष मतीन खान का मानना है कि ये सरकार की सोची समझी चाल है और इससे सिर्फ नुकसान होगा. सरकार कुछ भी पहले का रहने नहीं देना चाहती है.
फिलहाल लखनऊ में लक्ष्मण प्रतिमा और लक्ष्मण मंदिर पर जल्द काम शुरू होने वाला है. ऐसे में लखनऊ को नवाबी काल से पहले की पहचान दिलाने और अयोध्या मंदिर के निर्माण के साथ इसे जोड़ कर नया रूप देने के लिए भी प्रशासन तैयार है.
लखनऊ में बनने जा रहा पहला ऐसा मंदिर जहां लक्ष्मण के साथ उनकी पत्नी उर्मिला भी होंगी
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