सड़क दुर्घटना में घायल एक मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद एसजीपीजीआई और केजीएमयू की टीम ने ब्रेन डेड मरीज के परिजनों की सहमति लेकर आर्गन डोनेट कराया. केजीएमयू अस्पताल जहां कार्निया और लिवर लेकर दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट होगा वहीं एसजीपीजीआई किडनी का प्रत्यारोपण करेगा.
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केजीएमयू से किडनी को पीजीआई अस्पताल तक पहुंचाने के लिए शहर में बाकायदा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और उसके बाद किडनी एसजीपीजीआई अस्पताल लाई गई. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता, डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि 49 वर्षीय प्रदीप कुमार विश्वकर्मा जो कि लखनऊ के रायबरेली रोड स्थित आश्रय कॉलोनी के रहने वाले हैं, उनका विगत 7 जून को एक्सीडेंट हो गया था.
जिसके बाद मरीज को लखनऊ के चरक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. वहीं परिजनों ने केजीएमयू में मरीज के आर्गन को दान करने की इच्छा जताई. जिसके चलते पेशेंट को 10 जून को केजीएमयू अस्पताल में शिफ्ट किया गया. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ. सुधीर कुमार ने आगे बताया कि केजीएमयू में शिफ्ट होने के बाद मरीज का एपनिया टेस्ट कराया गया और उसके बाद केजीएमयू की ब्रेन डेट कमेटी ने मरीज के ब्रेन को डेड घोषित कर दिया.
इन प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ब्रेन डेड घोषित किए गए मरीज के आर्गंस, जिसमें दोनों किडनी, लीवर और कॉर्निया शामिल है उसका दान लिया गया. प्रवक्ता ने बताया कि लिवर का प्रयोग केजीएमयू अस्पताल में ही भर्ती नोएडा की रहने वाली 49 वर्षीय महिला मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया जोकि लीवर के सिरोसिस बीमारी से जूझ रही थी.
दोनों किडनी को लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल को सोटो (SOTO) यानी कि (state organ and tissue transplant organisation) के माध्यम से दिया गया क्योंकि पीजीआई की तरफ से SOTO से किडनी अलॉटमेंट के लिए आग्रह किया गया था और जैसे ही किडनी मिलने की सूचना SOTO को प्राप्त हुई तो SOTO ने एसजीपीजीआई से संपर्क किया और किडनी को एसजीपीजीआई को दे दिय.
किंगजॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ. सुधीर कुमार और एसजीपीजीआई के अस्पताल प्रशासन के विभागाध्यक्ष डॉ. आर हर्षवर्धन ने बताया कि किडनी को उचित समय में लखनऊ के ट्रैफिक आईजी और एसपी के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर कम समय में एसजीपीजीआई अस्पताल पहुंचाया गया.
ग्रीन कॉरिडोर की जरूरत इसलिए भी है कि एंबुलेंस से आ रही किडनी को जाम में ना फंसना पड़े और किडनी सही समय में अस्पताल को पहुंच जाए. पीजीआई के हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. आर हर्षवर्धन ने बताया कि दोनों गुर्दे को समय सीमा के अंदर जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपण कर दिया गया.
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