इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला दिया है. हाई कोर्ट लखनऊ बेंच ने कोर्ट की अवमानना के मामले में इनकम टैक्स विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर हरीश गिरवानी को 7 दिन की जेल और 25000 का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है. इस मामले की वजह से इनकम टैक्स विभाग के एक अफसर को 7 दिन के लिए जेल जाना होगा.
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हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में प्रशांत चंद्रा वरिष्ठ अधिवक्ता है. प्रशांत चंद्रा को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से 11 सितंबर 2013 को 2012-13 वित्तीय वर्ष के लिए इनकम टैक्स विभाग ने 52 लाख का एसेसमेंट नोटिस भेजा.
प्रशांत चंद्रा की तरफ से हाई कोर्ट में अपील की गई कि लखनऊ इनकम टैक्स विभाग के द्वारा भेजा गया नोटिस, उनके कार्यक्षेत्र का नहीं है. प्रशांत चंद्र दिल्ली में रहते हैं. लिहाजा लखनऊ इनकम टैक्स रेंज उनको नोटिस नहीं भेज सकता है. साल 2015 में हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इनकम टैक्स के असिस्टेंट कमिश्नर के द्वारा भेजे गए एसेसमेंट नोटिस को वेबसाइट से हटाने का आदेश दे दिया.
इनकम टैक्स विभाग के द्वारा प्रशांत चंद्र को भेजे गए बामन ब्लॉक के नोटिस को वेबसाइट से नहीं हटाया गया तो साल 2016 में हाई कोर्ट में आदेश की अवमानना की याचिका दाखिल की गई. साल 2016 में दाखिल की गई याचिका पर अक्टूबर 2022 में सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट को बताया गया कि विभाग की वेबसाइट से अभी भी असेसमेंट का नोटिस नहीं हटाया गया. 21 नवंबर को कोर्ट में असिस्टेंट कमिश्नर हरीश गिरवानी से पूछा कि नोटिस वेबसाइट पर क्यों है तो 4 दिन बाद ही 25 नवंबर 2022 को नोटिस हटा दिया गया.
जस्टिस इरशाद अली की बेंच में सुनवाई के दौरान प्रशांत चंद्रा की तरफ से पैरवी कर रही राधिका सिंह ने दलील दी कि 2015 में हाईकोर्ट के दिए गए आदेश को असिस्टेंट कमिश्नर हरीश गिडवानी ने नहीं माना और साल 2016 से 2022 तक बार-बार तारीख पर तारीख लेने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि हरीश गिडवानी साल 2023 में रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में प्रशांत चंद्रा की तरफ से दाखिल की गई याचिका महत्वहीन हो जाएगी.
राधिका सिंह की मानें तो मामला तब और बिगड़ गया जब पेशी के दौरान हरीश गिडवानी ने एक बार भी कोर्ट की अवमानना करने की गलती नहीं मानी और कोर्ट का आदेश नहीं मानने के पीछे अलग-अलग तर्क दिए जाने लगे.
बेंच ने इस मामले की सुनवाई के बाद हरीश गिडवानी को 7 दिन की जेल और 25000 रुपये के जुर्माना की सजा सुना दी है. हाईकोर्ट ने असिस्टेंट कमिश्नर को 22 दिसंबर तक का वक्त दिया है. वह 22 दिसंबर को हाईकोर्ट में सीनियर रजिस्ट्रार के सामने सरेंडर करेंगे, जहां से उनको जेल भेज दिया जाएगा और अगले दिन 23 दिसंबर को रजिस्ट्रार इससे हाई कोर्ट को अवगत कराएंगे.
इस मामले में प्रशांत चंद्रा की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ रही राधिका सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट का यह फैसला उन अफसरों के लिए एक नजीर है जो अपनी कुर्सी की ताकत का बेजा इस्तेमाल करते हैं, लोगों को परेशान करते हैं. इस फैसले से साबित हुआ कि न्यायालय सर्वोपरि है.
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