उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्राइमरी के लगभग 947 और उच्च प्राथमिक के 247 विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में सरकार की तरफ से भोजन, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे की व्यवस्था के साथ-साथ किताबें भी मुहैया कराई जाती हैं. इस बार अप्रैल से नया सत्र प्रारंभ हो चुका है. विद्यालयों में पढ़ाई शुरू हुए लगभग 4 महीने बीत गए हैं. मगर अफसोस अभी तक छात्र-छात्राओं को नई पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं.
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जब इस बात के लिए विद्यालयों में पता किया गया, तो पता चला कि शिक्षकों के अथक प्रयास के चलते पूर्व की पुस्तकों को लेकर बच्चों को उपलब्ध कराई गई हैं. इनमें मात्र 50% किताबें ही उपलब्ध हो सकी हैं, जिनसे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
जब छात्र-छात्राओं से बात की, तो उन्होंने बताया कि ‘पुरानी पुस्तकों में दो या तीन किताबें ही मिली हैं, कई किताबें तो फटी हुई हैं, लेकिन शिक्षक फिर भी किसी प्रकार से क्लास में पढ़ा रहे हैं. जिससे हम लोग पढ़ पा रहे हैं. अभी तक नई किताबें हम लोगों को उपलब्ध नहीं हुई हैं.’
खुशबू नामक छात्रा ने यूपी तक से कहा, “अभी हम लोगों को थोड़ी ही किताबें मिली हैं. हिंदी-इंग्लिश और संस्कृत की किताबें पुरानी मिली हैं. अभी 9 किताबें नहीं मिली हैं. महान व्यक्तित्व, हमारा पर्यावरण और मैथमेटिक्स की किताबें नहीं हैं. जो किताबें नहीं मिली है, उनको मैम थोड़ा समझा कर पढ़ा देती हैं.”
इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शैलेश कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि ‘हमारे पास शासन से पूरी किताबें नहीं आई हैं. उन किताबों को पहुंचाने का जो टेंडर है, उसका अभी प्रोसेस चल रहा है. अभी स्कूलों में पुरानी पुस्तकें से पढ़ाई हो रही है. उन्हीं को बेस बनाकर और दीक्षा ऐप के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. अगले लगभग 15 दिन के अंदर छात्रों को किताबें मिल जाएंगी.’
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