उत्तर प्रदेश के बरेली में सुभाषनगर थाने की पुलिस ने मानवीयता से जुड़ा एक ऐसा काम किया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. दरअसल गरीबी से जूझ रहे एक परिवार के मृतक सदस्य की अर्थी को कंधा देने से लेकर उसका अंतिम संस्कार करवाने तक में पुलिस ने मदद कर मानवता की मिसाल पेश की है.
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क्या है पूरा मामला?
सुभाष नगर थाना क्षेत्र की तिलक नगर कॉलोनी के निवासी 25 वर्षीय नरेश की शनिवार को मौत हो गई थी. नरेश की मां का आरोप है कि पड़ोस के ही एक दुकानदार से नरेश का विवाद हो गया था, जिसके बाद दुकानदार ने उनकी पिटाई कर दी, इलाज के दौरान नरेश की मौत हो गई.
मृतक की मां का आरोप है कि मंदिर से लगी दुकान के चबूतरे पर बैठने को लेकर वैश्य समाज के दुकान मालिक ने वाल्मीकि समाज के नरेश की जमकर पिटाई कर दी, जिससे उनकी मौत हो गई.
नरेश के घर में सिर्फ उनकी मां, पत्नी और दो बच्चे ही हैं. ऐसे में सुभाषनगर पुलिस ने शव को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंचाया. यही नहीं पुलिस ने अपने खर्च पर अंतिम संस्कार भी कराया.
दरअसल, पुलिस ने मृतक की मां की शिकायत पर शव का पोस्टमॉर्टम कराया और आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. पुलिस ने जब शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंपा तो उनके पास अंतिम संस्कार के लिए न तो रुपये थे और न ही शव को कंधा देने के लिए घर में कोई पुरुष था. मोहल्ले के लोग भी मदद करने में हिचकिचा रहे थे.
यह जानकारी किसी ने सुभाषनगर थाने के इंस्पेक्टर नरेश कुमार कश्यप को दी तो वह साथी पुलिस वालों के साथ नरेश के घर गए. फिर पुलिस मदद करते हुए शव को कंधा देकर श्मशान तक लेकर गई और अपने खर्च पर ही अंतिम संस्कार कराया.
पुलिस की दरियादिली से इस परिवार की एक मुश्किल तो हल हो गई, लेकिन उसके सामने अब भविष्य को लेकर बड़ी चुनौतियां हैं.
परिवार की गरीबी का आलम यह है कि घर में गैस का चूल्हा तक नहीं है और मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी जलाकर खाना बनता है. परिवार के मुताबिक, कभी-कभी लकड़ी ना होने पर पुराने कपड़े जलाकर चूल्हा जलाना पड़ता है. ऐसे में मृतक नरेश का परिवार अब सरकार से आर्थिक सहायता की उम्मीद लगाए बैठा है.
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