रविवार को पूरे देश में एक साथ ईद उल-अज़हा मनाई जाएगी जिसको लेकर लोगों में उत्साह है तो वहीं महंगाई की मार बकरा मंडी पर नजर आ रही है. प्रयागराज के हटिया बकरा मंडी में बकरों की भीड़ तो नजर आई, लेकिन खरीदार कम नजर आए. जो खरीदार भी आए, तो बकरों के बढ़े दामों को सुनकर उनके कान खड़े हो गए. अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक भी लोग बकरे खरीदते नजर आए. वहीं बकरीद के एक दिन पहले बकरा मंडी में बकरों की कई नस्लें भी नजर आ रही हैं. इस बकरा मंडी में बकरा बेचने आए बकरा मालिकों को भी महंगाई का असर नजर आ रहा है.
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बकरा खरीदने आए लोग बकरे के औने-पौने दाम लगा रहे हैं, जिससे वे खरीदारों पर खफा तो हो रहे हैं लेकिन सही दाम मिलने पर बिक्री भी कर रहे हैं.
कोविड-19 गाइडलाइन से मुक्त होगी बकरीद
बकरीद इस बार कोविड-19 लाइन के बंदिशों से मुक्त होगी. लेकिन महंगाई का असर इस बार बकरीद पर भी है. बकरा मंडी में कई नस्ल के बकरे हैं और खासकर राजस्थानी नस्ल लोगों को खूब रास आ रही है. इस मंडी में एक 95 किलो का बकरा भी नजर आया जिसकी कीमत तकरीबन 30 से 40 हजार रुपए है. प्रयागराज की इस मंडी में हर साल दूरदराज से लोग खरीदारी करने आते हैं, लेकिन इस बार मंडी में रौनक कुछ कम नजर आ रही है.
कोविड-19 के बाद इस साल ईद उल-अज़हा पर संक्रमण का डर कम है. इस वजह से लोगों के लिए ये बकरीद बहुत खास है. मंडी पहुंचने वाला हर शख्स कुर्बानी के लिए अपने लिए खरीदारी कर रहा है.
कुर्बानी के लिए सींग वाली भेड़ भी
परंपरा के अनुसार इस्लामिक माह जुल हिज्जा को ईद-उल-अज़हा के मौके पर इस्लाम धर्म से जुड़े पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की (सुन्नत) याद में जानवरों की अल्लाह की राह में कुर्बानी देने की प्रथा है. ईद उल अजहा पर अल्लाह की राह में बकरे, भेड़, ऊंट की क़ुर्बानी की जाती है. प्रयागराज रसूलपुर के रहने वाले गयासुद्दीन (राजू बालू) पिछले काफी दिनों से खूबसूरत मेंडा (सींग वाला भेड़ा) की तलाश में थे. गयासुद्दीन राजू ने बताया कि उन्होंने प्रयागराज और आसपास के जिलों में खोजा लेकिन उन्हें अपनी पसंद का मेंडा कहीं नहीं मिला.
इसके लिए उन्होंने प्रयागराज से दिल्ली का सफर तय किया. आखिरकार दिल्ली जाकर उनकी खोज पूरी हुई और उन्हें अपनी पसंद का मेंडा मिल ही गया. दिल्ली से आए मेंडा की कीमत तकरीबन एक लाख है. मेंडा प्रयागराज में आने के बाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
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