मध्यप्रदेश से छोड़े गए पानी का असर संगम नगरी प्रयागराज में भी देखने को मिल रहा है. बता दें कि प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियां उफान पर हैं. गंगा और यमुना दोनों ही नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. संगम में आई बाढ़ के चलते जहां अधिकतर घाट पानी में समा गए हैं, वहीं संगम की ओर जाने वाले सभी रास्ते पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं. जिन रास्तों पर गाड़ियां फर्राटे भरा करती थीं, उन रास्तों पर अब नाव चल रही है.
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संगम में चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है. बाढ़ के पानी में झोपड़ी, दुकानें, आरती स्थल समा गए हैं. तीर्थ पुरोहितों की झोपड़ियां और समान पानी मे समा गए हैं. सभी अपना-अपना सामान नाव में लाद कर दूसरे स्थानों पर ले जा रहे हैं. अगर ऐसे ही पानी लगातार बढ़ता रहा, तो निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. हांलाकि दोनों नदियां अभी डेंजर लेवल से नीचे बह रही हैं.
ऊपर तस्वीर में आप संगम का नजारा देख सकते हैं. चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है. संगम आए श्रद्धालु इस बात से खुश हैं कि उन्हें अब दूर तक नहीं जाना पड़ रहा है. संगम उनके नजदीक आ गया है. वहीं, गंगा और यमुना नदियों में आई बाढ़ के चलते संगम की ओर जाने वाले सभी रास्ते पूरी तरह से जल मग्न हो चुके हैं. संगम के घाटों पर बैठने वाले घाटिए, दुकानदार और तीर्थ पुरोहित भी अपना सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं. संगम क्षेत्र में गंगा आरती स्थल और झुग्गी-झोपड़ियां भी डूब चुकी हैं. नाविकों ने भी अपनी नावों को किनारे पर लाकर सुरक्षित बांध दिया है.
आपको बता दें कि संगम में बाढ़ का पानी अब बड़े हनुमान मंदिर की बॉउंड्री तक पहुंच गया है. जिससे लोगों का यह मानना है कि अगले दो दिनों में गंगा और यमुना नदियों का जल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर जाएगा.
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