प्रयागराज स्थित बाघंबरी गद्दी और मठ के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने सबको चौंका कर दिया है. पुलिस प्रथम दृष्टया इस मामले को खुदकुशी मान बाकी सारे एंगल से भी जांच कर रही है. खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि पर लगे हैं. आनंद गिरि ने आजतक के साथ बातचीत में मठ की संपत्तियों से जुड़े विवाद को महंत की मौत की वजह बताया है और खुद को निर्दोष कहा है. इस स्पेशल रिपोर्ट में आइए आपको महंत गिरि से जुड़े अखाड़े और मठ की अकूत संपत्ति के बारे में बताते हैं.
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बाघंबरी गद्दी, प्रयागराज
प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में बाघंबरी गद्दी और मठ है. यह पूरा इलाका लगभग 5 से 6 बीघे का है. अखाड़े में एक स्कूल और गौशाला भी है. इसके अलावा दारागंज में भी अखाड़े की ज़मीन है. प्रयागराज में हनुमान मंदिर, जिसे संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के नाम से जाना जाता है, वह भी इसी बाघंबरी मठ का ही मंदिर है. यहां प्रयागराज और संगम आने वाले सभी श्रद्धालु मत्था जरूर टेकते हैं.
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बाघंबरी मठ के नाम माडा, प्रयागराज में करीब 100 बीघा और मिर्जापुर के महुआरी में भी 400 बीघे से ज्यादा की जमीन है.
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मिर्जापुर के ही नैडी में करीब 70 बीघा और सिगड़ा में करीब 70 बीघा जमीन है.
एक अनुमान के मुताबिक प्रयागराज और आसपास के इलाकों में निरंजनी अखाड़े की मंदिर मठ और जमीन की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा की है. हरिद्वार और दूसरे राज्यों में मौजूद निरंजनी अखाड़े की जमीनों की अगर कीमत जोड़ दी जाए, तो वह हजार करोड़ से ऊपर पहुंचती है.
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हरिद्वार स्थित मुख्यालय के अधीन दर्जनभर मठ-मंदिर हैं.
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कुंभनगरी उज्जैन व ओंकारेश्वर में ढाई सौ बीघा जमीन, आधा दर्जन मठ और दर्जनभर आश्रम हैं.
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कुंभनगरी नासिक में सौ बीघा से अधिक जमीन, दर्जनभर आश्रम व मंदिर हैं.
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बड़ोदरा, जयपुर, माउंटआबू में करीब सवा सौ बीघा जमीन, दर्जन भर मंदिर व आश्रम हैं
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प्रयागराज में मांडा-मेजा में पांच एकड़ जमीन और दारागंज में बड़ा आश्रम व मंदिर है.
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नोएडा में मंदिर और 50 बीघा जमीन है.
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वाराणसी में मंदिर और आश्रम के साथ जमीन है.
ऐसा कहा जा रहा कि कहीं भी जमीन, मठ व मंदिर न बिकने पाए इसके लिए सुनिश्चित तैयारी की योजना बनी है.
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