सीएमओ ऑफिस के कुष्ठ रोग विभाग में करोड़पति स्वीपर धीरज तो आपको याद होगा. जिसके पास जमीन-मकान के अलावा खाते में 70 लाख रुपये थे. उस करोड़पति स्वीपर की अब टीवी की बीमारी से मौत हो चुकी है. उसके बैंक खाते में 70 लाख धरे के धरे रह गए.
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हम बात कर रहे हैं धीरज की जो प्रयागराज के जिला कुष्ठ रोग विभाग में स्वीपर कम चौकीदार के पद पर कार्यरत थे. धीरज के करोड़पति होने का खुलासा इसी वर्ष तब हुआ जब बैंक वाले उन्हें खोजते हुए उसके ऑफिस पहुंच गए थे. इसके बाद सभी ने जाना कि धीरज तो करोड़पति है. इसने 10 साल से तो अपनी सैलरी को निकाला ही नहीं. इसके पास खुद का मकान और खाते में मोटी रकम मौजूद है.
धीरज को उनके पिता की मौत के बाद कुष्ठ रोग विभाग में मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी मिल गई थी और वह 2012 से इस विभाग में कार्यरत थे. धीरज की वेशभूषा और गंदे कपडे़ देखकर लोग उन्हें भिखारी समझते थे. लोगों के पैर छूकर पैसे मांगकर ये अपना खर्च चलाते थे. लोग इसको गरीब समझ कर इसकी मदद भी कर देते थे.
दरअसल धीरज के पिता इसी विभाग में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे और नौकरी के बीच उनकी मौत हो गई. वहीं मृतक आश्रित के तौर पर धीरज को 2012 में उसी की जगह स्वीपर की नौकरी मिल गई. तब से उसने अपनी सैलरी बैंक से निकाली ही नहीं. वो वहीं के अधिकारियों और कर्मचारियों से पैसे मांगकर अपना खर्च चलाता रहा. इसके अलावा उसकी मां की पेंशन भी आती है, लेकिन एक खास बात है कि धीरज सरकार को इनकम टैक्स देता था.
करोड़पति धीरज अपनी 80 साल की मां के साथ रहता था. धीरज ने शादी भी नहीं की. वो शादी भी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसको डर था कि उसकी रकम कोई ले न ले. कर्मचारियों की मानें तो धीरज थोड़ा दिमागी कमजोर था, लेकिन ईमानदारी और मेहनत से पूरा काम भी करता था. उसकी सादगी और सीधापन कर्मचारियों को हमेशा याद रहेगा.
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