Auraiya News: उत्तर प्रदेश के औरैया से चौंका देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मजदूर के घर ऐसा मातम छाया है, जिसे जो भी सुनता है, उसकी आंखे गिली हो जाती हैं. दरअसल यहां संतोष वर्मा नाम का मजदूर मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता है. मगर इसके यहां कुदरत ने ऐसा खेल खेला है, जिसे सुन सभी सन्न रह जाते हैं और कुछ पल के लिए खामोश हो जाते हैं.
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दरअसल संतोष के तीन मासूम बेटों की मौत चार साल के अंदर हो गई. संतोष का कहना है कि उसके बच्चों को बुखार आता है और फिर 2 दिन के अंदर उनकी मौत हो जाती है. संतोष के मुताबिक, उसके पहले बेटे की मौत साल 2019 में हुई थी. दूसरा बेटा 2022 में चल बसा. दूसरे बेटे की जब मौत हुई तब उसकी उम्र 9 माह 11 दिन थी और उसके तीसरे बेटे की मौत 2 दिन पहले यानी 11 अक्टूबर 2023 को हो गई. तीसरे बेटे की मौत से परिवार पूरी तरह से टूट चुका है.
आखिर क्यों हो रही हैं बच्चों की मौतें?
ये हैरान कर देने वाला मामला दिबियापुर के वीर अब्दुल हमीद नगर मोहल्ला से सामने आया है. यहां रहने वाले मजदूर के 4 सालों में तीन बच्चों की बुखार से मौत हो गई. जैसे ही ये मामला मीडिया में आया वैसे ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मामले की जांच की.
पीड़ित पिता संतोष वर्मा ने बताया, 4 साल में उनके तीन बच्चों की बुखार आ जाने के कारण मौत हो गई है. साल 2019 में 7 माह के बेटे युग की मौत हुई, फिर साल 2022 में 9 माह 11 दिन के बेटे अभि की मौत हुई. अब तीसरे बेटे की मौत हाल ही में 11 अक्टूबर को हुई. वह भी 1 साल 5 माह का था.
मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है. मौके पर मौजूद डिप्टी सीएमओ राकेश सचान व दिबियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर विजय आनंद समेत स्वास्थ्य विभाग के लोग मौके पर पहुंचे हैं.
डॉक्टर ने क्या कहा
इस मामले पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक दिबियापुर के डां विजय आनंद ने ये बताया, “एक दंपति तीन बच्चे खत्म हो गए. तीसरे बच्चे की जो मौत हुई है, उसे 9 तारीख को तेज बुखार आया था. वह लोग बिना किसी चिकित्सक की सलाह से स्वयं ही जाकर किसी मेडिकल स्टोर से दवा ले आए और बच्चे को खिला दी. बताया जा रहा है कि उसके बाद बच्चे के शरीर पर चकते पड़ गए. 10 तारीख को उसे कानपुर के हैलट अस्पताल ले जाया गया, जहां 11 तारीख को उसकी मौत हो गई. हमने घर और आस-पास जांच की. मगर हमें डेंगू से संबंधित लार्वा नहीं मिला.”
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