उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले की एक अदालत ने फिरौती के लिये एक बच्चे का अपहरण करने के मामले में एक महिला को उम्रकैद की सजा सुनायी है. शासकीय अधिवक्ता पवन कुमार दूबे ने बुधवार को बताया कि कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के झौव्वारा गांव के रहने वाले उमाशंकर चौबे ने आरोप लगाया था कि गोपालापुर निवासी बृजेश शुक्ला रिश्तेदारी का फायदा उठाकर उसके घर आया और उसके नाती रूपेश कुमार को बहलाकर अपने साथ ले गया.
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बच्चे के काफी देर तक नहीं लौटने पर उन्होंने बृजेश से संपर्क किया, जिसने कई घंटों तक उन्हें गुमराह किया. बाद में संदेह होने पर परिजन ने बृजेश शुक्ला, उसकी पत्नी शालिनी शुक्ला और एक अन्य युवती जो उस वक्त नाबालिग थी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
मामला 2016 का है. उन्होंने बताया कि बच्चे को छोड़ने के लिये परिजन से पांच लाख रुपये की फिरौती भी मांगी गयी थी. बाद में शिलॉन्ग स्थित एक होटल से तीनों आरोपियों को पकड़ा गया और बच्चे को बचा लिया गया.
दूबे ने बताया कि पकड़ी गई किशारी पर मुकदमा किशोर न्यायालय में चला. किशोरी ने जुर्म स्वीकार भी किया था, मगर नाबालिग होने की वजह से उसे कम सजा मिली और वह कुछ महीने के बाद छूट गईं.
वहीं, आरोपी बृजेश शुक्ला तथा उसकी पत्नी शालिनी के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) की अदालत में मुकदमा चलाया गया. मुकदमे की सुनवाई पूरी होने से पहले ही बृजेश की मृत्यु हो गई थी. अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) इंतेखाब आलम की एक अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंगलवार को शालिनी शुक्ला को अपहरण करने का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
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