वाराणसी: 4 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से शुरू होंगे मांगलिक काम, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त

रोशन जायसवाल

• 07:58 AM • 02 Nov 2022

Varanasi News: देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2022) वर्ष की सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है. इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहा…

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Varanasi News: देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2022) वर्ष की सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है. इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी. आपको बता दें कि एकादशी की तिथि 3 नवंबर की रात  8:51 पर लग जाएगी जो 4 नवंबर यानी शुक्रवार की शाम 7:02 तक रहेगी. सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखकर हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का 4 नवंबर को ही मान्य होगा.

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वाराणसी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य एवं ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने जानकारी देते हुए बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, वह इस साल  10 जुलाई को हुई थी. उन्होंने बताया कि माना जाता है कि इस दिन जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को अपने शयनकाल को पूर्ण करके निद्रा से जगते हैं.

पंडित मालवीय ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि, “धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु जब निद्रा में होते हैं तब हिंदू धर्म में होने वाले तमाम तरह के शुभ कार्यों पर 4 महीने की रोक लग जाती है. मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है और इसी दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है. इसी के साथ सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, यज्ञ कार्य शुरू हो जाते हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य एवं ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने आगे कहा कि, धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस मनोरथ का फल त्रिलोक में ना मिल सके वह देवोत्थान एकादशी का व्रत करके प्राप्त किया जा सकता है. देवोत्थान एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवाहोत्सव का पर्व मनाया जाता है.

जानिए क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

 पं. दीपक मालवीय ने जानकारी देते हुए बताया कि,  भगवान श्री हरि विष्णु (शालिग्राम)एवं माता तुलसी के विवाह के लिए उत्तम पूजन का मुहूर्त  सायंकाल (शाम के समय) गोधूलि बेला में है. उन्होंने आगे बताया कि, 4 नवंबर यानी शुक्रवार से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगे. मगर इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने से देवोत्थान एकादशी पर विवाह का मुहूर्त नहीं है. इसलिए इस बार  प्रथम विवाह मुहूर्त 24 नवंबर से शुरू होगा.

जानिए क्या हैं शुभ विवाह मुहूर्त

पं. दीपक मालवीय के अनुसार नवंबर महीने में शुभ विवाह मुहूर्त 24, 25, 26 को रहेगा तो वहीं  दिसंबर महीने में शुभ विवाह मुहूर्त  2, 3, 7, 8, 9, 13, 14, 15, 16 को रहेगा.इसके बाद  खरमास शुरू हो जाएगा. दुबारा से विवाह के शुभ मुहूर्त 15 जनवरी 2023 से शुरू होंगे.

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