काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन को जा रहे हैं तो बनारस के ये पांच पौराणिक घाट जरूर घूमें

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14 Aug 2023 (अपडेटेड: 14 Aug 2023, 01:42 PM)

Varanasi News: कहते हैं कि काशी दुनिया का सबसे प्राचीन शहर है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर स्थित…

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Varanasi News: कहते हैं कि काशी दुनिया का सबसे प्राचीन शहर है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर स्थित है. गंगा के किनारे बसा यह शहर देवों की नगरी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर यहां साक्षात निवास करते हैं. काशी कहिए, वाराणसी या फिर बनारस, पवित्र नदी गंगा के तट पर बसा यह शहर अपनी ऐतिहासिकता और प्राचीनता के लिए जाना जाता है. वाराणसी में बने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद से यहां आने वाले श्रद्धालुओं और सैलानियों की संख्या में रिकॉर्ड इजाफे का दावा भी किया जा रहा है.

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यह शहर पहले से ही धर्म, आध्यात्म के साधकों के साथ-साथ विदेशी टूरिस्टों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. ऐसे में अगर आप बनारस घूमने या काशी विश्वनाथ दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए यहां देखने और करने के लिए बहुत कुछ है. काशी की इन तमाम ऑफरिंग में सबसे खास हैं, यहां के घाट, जो पौराणिकता से लेकर आधुनिकता, दोनों को ही खुद में समाहित किए हुए हैं.

हालांकि अगर आप काशी विश्वनाथ दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले आपको इसकी प्रक्रिया और टाइमिंग की पूरी जानकारी होनी चाहिए. आप यहां क्लिक कर काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी ये खास जानकारी विस्तार से हासिल कर सकते हैं.

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चलिए अब आपको लेकर चलते हैं काशी के घाटों की आध्यात्मिक यात्रा पर

काशी के घाट वैसे तो पत्थर के बने हैं, लेकिन वे पूरी तरह जीवंत है. मशहूर कवि केदारनाथ सिंह की कालजयी कविता बनारस की पंक्तियां हैं कि,

‘कभी सई-साँझ
बिना किसी सूचना के
घुस जाओ इस शहर में
कभी आरती के आलोक में
इसे अचानक देखो
अद्भुत है इसकी बनावट
यह आधा जल में है
आधा मंत्र में
आधा फूल में है…’

ये कविता आपको बनारस के कैरेक्टर के बारे में बताती है. अगर आपको इसे पूरा पढ़ना है, तो बस गूगल कीजिए और कविता में खो जाइए. बहरहाल बात काशी के घाटों की हो रही है. काशी के घाटों पर बैठकर गंगा की लहरों को निहारना ही अपने में एक बड़ा सुख है. काशी के घाट पर बज रहे घंटे, मंत्र ये सब मिलाकर दैवीय माहौल बनाते हैं. वाराणसी में 84 घाट हैं. इन घाटों में से अधिकतर को 18वीं शताब्दी में मराठा शासकों ने बनवाया था. मराठा के अलावा सिंधिया, होल्कर, भोंसले, पेशवा और बनारस के महाराजा ने भी इन घाटों को नया जीवन दिया.

पुराणों के मुताबिक या पॉप्युलैरिटी के हिसाब से बनारस के पांच घाटों का नाम सर्वाधिक लिया जाता है. अगर आप बनारस घूमने जा रहे हैं, तो आपको ये पांच घाट तो जरूर एक्सप्लोर करने चाहिए.

  • दशाश्वमेध घाट: यह वाराणसी के सबस मशहूर घाटों में से एक है. यहां की गंगा आरती काफी फेमस है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से तमाम लोग आते हैं. यह घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के काफी नजदीक है. इस घाट की पौराणिक कहानी भी खास है. एक कहानी ये है कि इसे ब्रह्मा ने भगवान शिव के स्वागत के लिए बनाया था.
  • मणिकर्णिका घाट: यह घाट हिंदू धर्म के लिए काफी पवित्र माना जाता है. यहां अंत्येष्टि क्रिया होती है. इस घाट पर अक्सर अवधूत भी दिखते हैं, जो अपनी साधना में लीन रहते हैं. कुछ स्रोतों का यह भी मानना है कि इसका नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखा गया है.
  • हरिश्चंद्र घाट: यह घाट बनारस के सबसे पवित्र घाटों में से एक है. यह घाट भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. यह प्रसिद्ध राजा हरिश्चंद्र के नाम पर है, जो अपनी सच्चाई के लिए विख्यात थे. यह घाट भी दाह संस्कार के लिए जाना जाता है.
  • अस्सी घाट: यह असी नदी और गंगा के संगम पर स्थित है. यह काशी का 80वां घाट है, इसलिए भी इसे अस्सी घाट कहा जाता है. यह घाट बनारस के सबसे लंबे घाटों में से एक है. यह घाट बनारस के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है.
  •  पंचगंगा घाट: इस घाट का नाम पांच पौराणिक नदियों के संगम के नाम पर रखा गया है. इसमें एक नाम सरस्वती नदी का भी शामिल है. ऐसी मान्यता है कि यहां लगाई गई डुबकी आपको पापों से मुक्त करती है. हालांकि यह बात काशी क्षेत्र के सभी घाटों पर लागू होती है.

आप इन घाटों के साथ बनारस के और भी दूसरे घाटों की यात्रा कर सकते हैं. इसके अलावा इन घाटों पर आपको सूर्यास्त के समय गंगा विहार की सुविधा देने वाली नौकाएं भी मिलेंगी. आप चाहें तो यहां पहुंचकर काशी की आध्यात्मिकता के साथ खुद को लीन कर सकते हैं. इस अनुभव को तो वहां जाकर ही समझा जा सकता है.

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