UP चुनाव: 2017 में झांसी की चारों सीटों पर हुआ BJP का कब्जा, जानें, अब कैसे हैं हालात

यूपी तक

• 10:48 AM • 01 Oct 2021

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यूपी तक आपके लिए हर जिले की सियासी तस्वीर सामने ला रहा है. इस विशेष सीरीज की…

UPTAK
follow google news

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यूपी तक आपके लिए हर जिले की सियासी तस्वीर सामने ला रहा है. इस विशेष सीरीज की कड़ी में आज देखिए कि झांसी में पिछले 2 विधानसभा चुनाव में क्या समीकरण रहे थे और साथ में जानिए वे कौनसे स्थानीय मुद्दे हैं, जिनपर नहीं हुआ है काम.

यह भी पढ़ें...

उत्तर प्रदेश में झांसी से विधानसभा का चुनाव 1967 से शुरु हुआ. जनपद की 4 विधानसभा सीटें झांसी सदर, बबीना, मऊरानीपुर और गरौठा हैं. इन सीटों पर सियासी रंग हमेशा चटकते रहे हैं. वोटरों की मंशा भी वक्त के हिसाब से बदलती रही है.

अगर हम राजनीतिक चर्चा करें तो यहां काफी लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है और ओम प्रकाश रिछारिया जैसे खांटी कांग्रेसी नेता यहां से विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.

समय का चक्र बदला और झांसी सदर सीट धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ बन गई. भारतीय जनता पार्टी के रविंद्र शुक्ला लगातार चार बार विधायक बनकर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने झांसी विधानसभा क्षेत्र की चारों सीटों पर कब्जा जमाया था.

आइए झांसी जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं

बुंदेले हर बोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी. ये शब्द सुनते ही आज भी हृदय में साहस का संचार हो जाता है. बुंदेलखंड का प्रमुख केंद्र स्थल है झांसी.

यूं तो झांसी उत्तर प्रदेश का एक जिला है. लेकिन भौगोलिक दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश के नजदीक होने के कारण झांसी की सांस्कृतिक परिवेश मध्यप्रदेश से काफी मेल खाती है.

कभी बलवंत नगर के नाम से प्रसिद्ध इस नगर को झांसी का नाम तब मिला जब यहां राजा वीरसिंह जूदेव द्वारा किले का निर्माण कराया जा रहा था. दरअसल, तब वो किला ओरछा स्टेट से झाई सा नजर आता था, झाई सा दिखने के कारण बलवंत नगर को झांसी नाम मिला. वर्तमान में झांसी डिवीजनल कमिश्नर का मुख्यालय है जिसमें झांसी, ललितपुर और जालौन जिले शामिल हैं.

झांसी जिले के विधानसभा क्षेत्र

  1. बबीना

  2. झांसी नगर

  3. मऊरानीपुर

  4. गरौठा

  • आपको बता दें कि 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने झांसी की सभी चार सीटों पर जीत हासिल की थी.

  • 2012 के विधानसभा चुनाव में झांसी में एसपी ने 2 जबकि बीजेपी और बीएसपी ने एक-एक सीट जीती थी.

झांसी जिले की विधानसभा सीटों का विस्तार से विवरण:

बबीना

2017: इस चुनाव में बीजेपी के राजीव सिंह ने एसपी के यशपाल सिंह यादव को 16,837 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में बीएसपी के कृष्णा पाल सिंह राजपूत ने एसपी के चंद्रपाल सिंह यादव को 6,955 वोटों से हराया था.

झांसी नगर

2017: इस चुनाव में बीजेपी के रवि शर्मा ने बीएसपी के सीताराम कुशवाह को 55,778 वोटों के अंतर से हराया था.

2012: इस चुनाव में भी बीजेपी के रवि शर्मा की जीत हुई थी. उन्होंने बीएसपी के सीताराम कुशवाह को 8,080 वोटों से हराया था.

मऊरानीपुर

2017: इस चुनाव में मऊरानीपुर सीट पर बीजेपी की जीत हुई थी. बीजेपी के बिहारी लाल आर्य ने एसपी की डॉ. रश्मि आर्य को 16,971 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में एसपी की डॉ. रश्मि आर्य ने बीएसपी के राजेंद्र राहुल अहिरवार को 6,648 वोटों के अंतर से हराया था.

गरौठा

2017: इस चुनाव में बीजेपी के जवाहर लाल राजपूत ने गरौठा विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. उन्होंने एसपी के दीप नारायण सिंह (दीपक यादव) को 15,831 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में एसपी के दीप नारायण सिंह (दीपक यादव) ने बीएसपी के देवेश कुमार पालीवाल को 15,798 वोटों से हराया था.

सिंचाई की समस्या से किसान रहते हैं परेशान

जिले की बबीना और गरौठा क्षेत्र में सिंचाई के पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस समस्या के कारण पिछले काफी समय से किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें आती रही हैं. हर सरकार इस मुद्दे को लेकर कई वादे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहानी बयां कर रही है.

झांसी शहर में गर्मियों में रहती है पेयजल की समस्या

गर्मियों के मौसम में झांसी शहर में गुमनाबारा, बड़ा गांव गेट बाहर और शिवाजी नगर समेत अन्य इलाकों में पेयजल की समस्या रहती है. इस दौरान अगर पेयजल आता भी है तो वह शुद्ध नहीं होता है. चुनाव से पहले नेता इस समस्या के समाधान करने के दावे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद ये दावे महज दावे रह जाते हैं.

रानी लक्ष्मीबाई की नगरी होने के बावजूद पर्यटन क्षेत्र में नहीं हुआ काम

रानी लक्ष्मीबाई की नगरी होने के बावजूद झांसी पर्यटन का केंद्र नहीं बन सका है. झांसी में रानी लक्ष्मीबाई का किला है, जिसे झांसी फोर्ट के नाम से जाना जाता है. लेकिन पर्यटन की दृष्टि से इस किले का कोई विकास नहीं हो सका है. स्थानीय लोग बताते हैं कि विदेशी पर्यटक झांसी रेलवे स्टेशन पर आते तो जरूर हैं, लेकिन इसके बाद वे मध्य प्रदेश के ओरछा और खजुराहो की ओर निकाल जाते हैं.

यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में विपक्ष सरकार को इन मुद्दों के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी घेरने की कोशिश करेगा. अब देखना यह अहम रहेगा कि आने वाले समय में झांसी की जनता किस पार्टी को अपना आशीर्वाद देती है.

पीलीभीत: 2017 में सभी 4 सीटों पर जीती थी BJP, कहीं बांसुरी इंडस्ट्री बिगाड़ न दे धुन?

    follow whatsapp