भाजपा-सपा में घूमने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य फिर से जॉइन करेंगे बसपा? मायावती क्या फैसला लेंगी 

कुमार अभिषेक

• 03:29 PM • 10 Dec 2024

स्वामी प्रसाद मौर्य फिर एक बार चर्चा में हैं. बता दें कि सोशल मीडिया पर इस बात की खूब चर्चा है कि बसपा चीफ मायावती को सबसे ज्यादा 'कोसकर' पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य जल्द ही घर वापसी कर सकते हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्या

Swami Prasad Maurya

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Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य फिर एक बार चर्चा में हैं. बता दें कि सोशल मीडिया पर इस बात की खूब चर्चा है कि बसपा चीफ मायावती को सबसे ज्यादा 'कोसकर' पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य जल्द ही घर वापसी कर सकते हैं. आपको बता दें कि बसपा समर्थित सोशल मीडिया हैंडल्स और पार्टी को करीब से जानने वाले पत्रकारों के बीच यह चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य फिर से मायावती के साथ आ सकते हैं. मगर, अभी इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. 

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मौर्य ने साधी चुप्पी

स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी सूत्रों के मुताबिक, हालिया बसपा के कुछ लोगों ने मौर्य से मुलाकात भी की थी. मगर अभी कुछ भी तय नहीं है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस पर मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. मौर्य का सिर्फ इतना ही कहना है कि सियासत में संभावनाएं हर बात की होती हैं.  

मायावती ने लिया है ये फैसला

ऐसी खबर है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की पिछली बैठक में मायावती ने पार्टी छोड़कर गए पुराने नेताओं की घर वापसी के प्लान को हरी झंडी दे दी है. ऐसे नेता जो कभी बसपा में मजबूत और जन आधार वाले थे, अगर वह पार्टी में वापस आना चाहें तो आ सकते हैं. फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य के नाम की चर्चा इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि वह इस वक्त किसी पार्टी में नहीं हैं. ऐसे में यह चर्चा खूब तेज है कि जिस दलित मिशन को लेकर के स्वामी प्रसाद मौर्य निकले थे, अब उसी बीएसपी में वापस जाने की सोच रहे हैं. मालूम हो कि बसपा छोड़ने के बाद मौर्य भाजपा और फिर सपा में गए थे. सपा छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी भी बनाई थी. 

 

 

स्वामी प्रसाद मौर्य की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी अब पूरी तरह मायावती के फैसले पर निर्भर करती है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मायावती उन गंभीर आरोपों और निजी हमलों को भूल पाएंगी, जो मौर्य ने उनके खिलाफ किए थे. मायावती का मौर्य को माफ करना राजनीतिक रूप से अहम मुद्दा बन गया है. 

दूसरी ओर, स्वामी प्रसाद मौर्य भी जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते. वह बसपा में शामिल होने से पहले अपनी सियासी भूमिका और बसपा की भविष्य की संभावनाओं को पूरी तरह परख रहे हैं. उनके लिए यह फैसला न केवल राजनीतिक भविष्य तय करेगा, बल्कि उनके समर्थकों को भी दिशा देगा. फिलहाल, मौर्य और मायावती के बीच समीकरणों पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि आखिर राजनीति में इस मोड़ पर क्या नई राह निकलेगी.


 

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