समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) रामचरितमानस और साधु-संतों पर दिए गए अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चाओं में बने हुए हैं. अब सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी दफ्तर में तलब किया है. बता दें कि पार्टी दफ्तर में अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य की मुलाकात हुई है.
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अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद बाहर निकले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह आदिवासी, दलितों के आरक्षण की बात कर रहे थे, जो उन्हें संवैधानिक अधिकार के तौर पर मिलता रहा है. मगर उसको अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) कमजोर कर रही है.
बनाई ये रणनीति
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी रणनीति के तहत सबसे पहले जाति आधारित जनगणना की मांग करेगी. इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा.”
भाजपा पर बरसे
इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “अब इस बात को सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बन चुकी है. भारतीय संविधान ने इस देश के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को आरक्षण का अधिकार दिया है. भारतीय जनता पार्टी उसको किसी भी हालत में खत्म नहीं कर सकती है. अगर खत्म करेगी तो एक बड़ा आंदोलन होगा, जो भारतीय जनता पार्टी के सफाए तक चलता रहेगा.”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि अखिलेश यादव जी हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है. वह सही समय पर अपनी पूरी बात रखेंगे. अखिलेश जी के साथ सभी मुद्दों पर हमारी बात हुई है. अब हमारी रणनीति का दूसरा पहलू इस देश के दलितों, पिछड़ों के आरक्षण को सुनिश्चित कराना है, आरक्षण को वापस दिलाना है. हमें संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करनी होगी.
मुख्यमंत्री योगी के सनातन को राष्ट्रीय धर्म बताने वाले बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस सब का जवाब नेता विरोधी दल के तौर में अखिलेश यादव विधानसभा में उनके सामने देंगे, जिन्होंने सनातन धर्म की वकालत की है.
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