बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पीडीए फॉर्मूले को खारिज करते हुए सोमवार को इसे तुकबंदी करार दिया और पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों को समाजवादी पार्टी (सपा) से सावधान किया.
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बसपा प्रमुख ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा,
”सपा द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के जवाब में पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का राग केवल तुकबन्दी के सिवाय और कुछ नहीं है.”
इसी ट्वीट में मायावती ने कहा कि ”इनके पीडीए का वास्तविक अर्थ है-परिवार, दल, अलायंस (गठबंधन) है, और यहीं तक यह पार्टी सीमित है. इसीलिए अखिलेश ने जिन वर्गों के लोगों का जिक्र किया है वे जरूर सावधान रहें.”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की भारी पराजय का दावा करते हुए कहा था कि आने वाले लोकसभा चुनाव में पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) की एकता भाजपा नीत राजग पर भारी पड़ेगी.
सपा मुख्यालय से शनिवार को जारी एक बयान में यादव ने कहा, ”भाजपा वर्ष 2014 में सत्ता में जैसे आई थी, वर्ष 2024 में उसकी वैसे ही यूपी से विदाई होगी.”
बयान में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीट पर भाजपा को हराने का नारा देते हुए कहा था कि,
”हमारा नारा है 80 हराओ-भाजपा हटाओ. इसलिए 2024 में पीडीए (पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों) की एकता भाजपा और राजग गठबंधन पर भारी पड़ेगी.”
इससे पहले अखिलेश यादव के पीडीए वाले बयान के एक दिन बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को एक ट्वीट में कहा था,
”अखिलेश यादव के पीडीए का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक नहीं है, बल्कि इसका अर्थ परिवारवाद, दंगाईयों का संग और अपराध करने वालों को संरक्षण देने से है.’’
उन्होंने कहा कि सपा का यही वर्तमान और भविष्य है, सपा गुंडों के लिए जबकि भाजपा गरीबों के लिए समर्पित है.
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