मंगलवार को महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली में इंडिया गठबंधन की एक बैठक हुई. इस बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि बैठक के दौरान हमने बीएसपी पर चर्चा नहीं की. सभी सहयोगी पार्टियों के साथ चर्चा जारी है. जल्द ही हम फॉर्मूला और सहमति लेकर आएंगे. वहीं, मीटिंग के बाद सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि बहुत अच्छी बैठक हुई और सबका मन अच्छा है. 12 तारीख को फिर एक बैठक है. जब उनसे बीएसपी को इंडिया गठबंधन में साथ लाने से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कहीं कोई बात नहीं है. आप लोगों के मुंह से ही बार-बार सुनते हैं.
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बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए कांग्रेस मायावती की पार्टी बसपा को भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती है. मगर सपा चीफ अखिलेश यादव ने बसपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार कर दिया है.
इन दिनों सपा और बसपा दोनों में जुबानी जंग चल रही है. दोनों दलों के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है. कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने मायावती को लेकर तंज कसा था. उन्होंने कहा था ‘चुनाव के बाद उनकी गारंटी कौन लेगा’. अखिलेश के इस तंज पर मायावती बीते रविवार सपा मुखिया पर खूब बिफरीं थी. उन्होंने सपा को दलित विरोधी करार देते हुए सपा और अखिलेश पर कई सियासी हमले बोले थे.
अब सपा-बसपा में पुल को लेकर सियासत
साथ ही मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए खुद को सपा से खतरा बता दिया है. मायावती ने सोमवार को सपा सरकार में बसपा के राज्य मुख्यालय के पास बने पुल को पार्टी कार्यालय की सुरक्षा के लिए खतरा करार देते हुए प्रदेश सरकार से बसपा कार्यालय को किसी ‘सुरक्षित स्थान’ पर ले जाने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती के इस बयान पर पलटवार करते हुए बसपा को भाजपा से मिली हुई पार्टी बताया और कहा कि पार्टी नेतृत्व को अगर लगता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा है तो वह केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस पुल को तुड़वा दे.
गौरतलब है कि साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी के मॉल एवेन्यू स्थित बसपा राज्य मुख्यालय के सामने बनाये गये ओवर ब्रिज का लोकार्पण किया था. बसपा के नेताओं ने आरोप लगाते हुए इसके निर्माण का पुरजोर विरोध किया था. उनका कहना था कि यह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सुरक्षा के लिए खतरा है. अब देखना ये होगा कि सपा-बसपा में बढ़ रही ये तकरार आगे क्या करवट लेती है.
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