चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) के कांग्रेस पार्टी शामिल होने की अकटलों पर अब विराम लग गया है. खबर यह है कि प्रशांत कांग्रेस में नहीं शामिल होंगे. उन्होंने कांग्रेस के पार्टी में शामिल होने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. इसकी जानकारी खुद प्रशांत ने ट्वीट कर दी है.
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उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मैंने ईएजी (इंपावर्ड एक्शन ग्रुप) के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. मेरी विनम्र राय में पार्टी के संरचनात्मक समस्याओं को सुधार करने के लिए पार्टी को मुझसे अधिक नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.”
वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर बताया कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “प्रशांत किशोर के साथ एक प्रस्तुति और चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने एक इंपावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया है और उन्हें समूह का हिस्से बनने और पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन प्रशांत किशोर ने ऐसा करने से मना कर दिया है.”
बता दें कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने एक इंपावर्ड एक्शन ग्रुप का गठन किया है. 21 अप्रैल को 8 सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के बाद इस ग्रुप का गठन किया गया.
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष पार्टी को मजबूत करने और अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में विस्तृत प्रस्तुति दी थी. उनके सुझावों पर विचार करने के लिए कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी ने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने प्रशांत की चुनावी रणनीति बनाने वाली कंपनी ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ (IPAC) का तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के लिए काम करने पर आपत्ति जताई थी. हालांकि, प्रशांत ने कहा कि उनका IPAC से कोई संबंध नहीं है. बता दें कि दो दिन पहले ही IPAC का TRS के साथ समझौता हुआ है. इस समझौते को लेकर कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि जब प्रशांत पार्टी में शामिल होने के लिए इच्छुक हैं तो उन्हें तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की विरोधी TRS के साथ किसी तरह जुड़ाव नहीं रखना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत ने कांग्रेस को नए सिरे से अपनी रणनीति बनाने की बात कहते हुए कहा था कि पार्टी को यूपी में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए.
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रशांत ने यूपी में कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई थी और शुरुआती हिचक के बाद सपा के साथ गठबंधन हुआ था. हालांकि तब ‘यूपी को यह साथ पसंद है’ वाला नारा कुछ काम नहीं आया और बीजेपी के सामने सपा-कांग्रेस गठबंधन टिक नहीं पाया था. 2024 में एक बार फिर कांग्रेस के लिए प्रशांत के यूपी में आने की चर्चाएं चली रही थीं, मगर फिलहाल तो वह अब यहां नहीं आते दिख रहे हैं.
बताते चलें कि कांग्रेस में शामिल होकर उसके लिए चुनावी रणनीति बनाने का जिम्मा प्रशांत पर देने की तमाम अटकलें चल रही थीं. उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर कांग्रेस पार्टी के नेता आपस में दो गुटों में बंट गए थे. एक गुट प्रशांत के कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत कर रहा था तो दूसरा गुट इस पर नाराजगी जाहिर कर रहा था.
हालांकि, अब प्रशांत के कांग्रेस में शामिल नहीं होने की आधिकारिक पुष्टि के बाद देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यूपी में कांग्रेस की राजनीति में क्या कुछ नया होने वाला है और यह किस दिशा में जाने वाली है.
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