जौनपुर लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनावों में 2 बार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) कब्जा रहा और एक बार जीत का सेहरा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सिर बंधा. 2009 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट पर पहली बार बीएसपी का खाता खुला. 2009 में बीएसपी के टिकट पर बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने सपा और भाजपा को करारी शिकस्त देते हुए 80 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की.
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2009 के चुनाव में जौनपुर लोकसभा सीट में कुल 1662127 मतदाता थे, जिसमें 763910 मतदाताओं ने वोट किया था. 2009 के चुनाव में बीएसपी के प्रत्याशी बाहुबली धनंजय सिंह को 302618 वोट और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पारसनाथ यादव को 222267 मत मिले थे.
भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सीमा द्विवेदी (वर्तमान में राज्यसभा सदस्य) को मात्र 143377 मतों से संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में कुल 1662127 मतदाताओं में से 763910 मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया था.
2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर कृष्ण प्रताप सिंह, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री सुभाष चंद्र पांडेय और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था. बाहुबली सांसद धनंजय सिंह लड़ाई को चतुष्कोण बनाने का प्रयास किए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी.
इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन (वर्तमान में गोरखपुर सांसद) को और आम आदमी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य मंत्री डॉक्टर केपी यादव को प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में बाजी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर केपी सिंह के हाथ लगी और उन्होंने 367149 वोट हासिल करके बसपा प्रत्याशी सुभाष चंद्र पांडेय को 146310 मतों से पराजित किया.
इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी को 220839 और सपा प्रत्याशी को 180003 मत मिले. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भोजपुरी स्टार रवि किशन को मात्र 42759 वोट मिले और पांचवें स्थान पर रहे.
वहीं बाहुबली धनंजय सिंह को 64134 और आम आदमी पार्टी के डॉक्टर केपी यादव को 43471 मत मिले. इस चुनाव में सपा, बसपा को छोड़कर भोजपुरी स्टार रवि किशन, धनंजय सिंह समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. इस चुनाव में कुल 1848842 मतदाताओं में से 1007143 मतदाताओं ने मतदान किया.
लोकसभा चुनाव 2019 में बहुत ही रोचक लड़ाई रही. सपा- बसपा गठबंधन से सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी श्याम सिंह यादव को बसपा ने मैदान में उतारा. 30 साल का प्रशासनिक अनुभव होने के बावजूद श्याम सिंह यादव राजनीति में बिल्कुल नए थे.
भाजपा ने निवर्तमान सांसद डॉ केपी सिंह पर ही दांव लगाया. तमाम विरोध के बावजूद आमने सामने सीधी टक्कर होने के चलते डॉ के पी सिंह को 2014 की अपेक्षा 73 हजार अधिक वोट मिले बावजूद इसके उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
इस चुनाव में सपा- बसपा के संयुक्त प्रत्याशी श्याम सिंह यादव के सिर पर जीत का सेहरा बंधा. श्याम सिंह यादव को 521128 और भाजपा प्रत्याशी डॉ के पी सिंह को 440192 वोट मिले. इस प्रकार बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव ने भाजपा के डॉ के पी सिंह को 80936 मतों से करारी शिकस्त दी. इस चुनाव में कुल 1867976 में से 1040692 मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया.
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