उत्तर प्रदेश में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, लेकिन निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी पारा गर्म है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्थित अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का भी गठन कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद विपक्ष इस मुद्दे पर मोर्चाबंदी करने में जुटा है.
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निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर आयोग के गठन पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य (Keshav Maurya) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकार बगैर ट्रिपल सी फार्मूले के ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किए निकाय चुनाव कतई नहीं कराएगी.
डिप्टी सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ही ट्रिपल सी फार्मूले को लेकर आदेश पारित किया था. लेकिन उसके बावजूद 2012 से 2017 तक स्थानीय निकाय और पंचायत के चुनाव रैपिड सर्वे से ही समाजवादी पार्टी ने कराया था. समाजवादी पार्टी ने भी ट्रिपल सी के फार्मूले का पालन कराने के लिए कभी कमीशन का गठन नहीं किया, लेकिन 2022 में जब बीजेपी सरकार इसी फार्मूले के तहत रैपिड सर्वे के आधार पर निकाय चुनाव करा रही थी. तब उसको विपक्ष बेवजह मुद्दा बनाने में जुटा है.
डिप्टी सीएम ने कहा है कि सरकार और उनकी पार्टी प्रदेश की जनता को पूरी तरह आश्वस्त करती है कि बगैर ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कतई नहीं कराए जाएंगे.
वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ओबीसी रिजर्वेशन के मुद्दे पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर हमला बोला है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अखिलेश यादव निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन को फर्जी राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जहां तक मुझ पर निजी हमले का सवाल है. पार्टी हर कार्यकर्ता के लिए मां के समान है. मां यानि पार्टी के आदेश से ही यूपी में दूसरी बार डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहा हूं.
डिप्टी सीएम ने कहा कि जब अखिलेश यादव, शिवपाल यादव या पूरा सैफई परिवार मुझ पर निजी हमले करते हैं, तो वह हमला मेरे ऊपर नहीं बल्कि मेरी मां मेरी पार्टी के ऊपर हमला करते हैं. उन्होंने कहा है कि ऐसे हमलों का जवाब पार्टी भी देगी और जनता भी देगी.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया है कि वह पिछले वर्ग के नेताओं का भला नहीं चाहते हैं, बल्कि पिछड़े वर्ग का जो नेता राजनीति में आगे बढ़ रहा है उसको छोटा करने में ही लगे रहते हैं. इसी कारण वह 2014 से 24 तक लगातार चुनाव भी हार रहे हैं और आगे भी हारेंगे.
केशव प्रसाद मौर्या ने एक बार फिर से साफ किया है कि सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले का सम्मान करती है लेकिन इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जा रही है.
बता दें कि कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया है. यानी कोर्ट ने सरकार के द्वारा जारी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के द्वारा जारी की गई ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए, तभी दिया जा सकेगा ओबीसी आरक्षण.
डिप्टी CM केशव मौर्य ने क्यों कहा- ‘अखिलेश को पिछड़ों की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं’
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