पार्टी को सरकार से ऊपर बताना फिर पुलिस की बैठक में बढ़ते करप्शन की बात! केशव के मन में क्या?

यूपी तक

29 Jul 2024 (अपडेटेड: 29 Jul 2024, 09:05 PM)

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में चल रहा आंतरिक गतिरोध जगजाहिर हो गया है.

keshav prasad maurya

keshav prasad maurya

follow google news

UP BJP internal crisis Yogi Adityanath Keshav Maurya news: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में चल रहा आंतरिक गतिरोध जगजाहिर हो गया है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का सरकार पर संगठन को तरजीह देने वाली बात हो या फिर सरकार से कार्यकर्ताओं की नाराजगी का दावा, योगी सरकार अपनों के बीच ही घिरती नजर आई.पिछले दिनों दिल्ली में बीजेपी शासित राज्यों की मुख्यमंत्रियों की बैठक में जब सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम की मुलाकात पीएम मोदी, अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसी टॉप लीडरशिप से हुई तो लगा कि अब बीजेपी के शीतयुद्ध का अंत हो जाएगा. पर सोमवार को बीजेपी की ओबीसी मोर्चा की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी के संबोधन ने फिर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. 

यह भी पढ़ें...

इसी के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी पुलिस के डीजीपी समेत बड़े अधिकारियों की बैठक ले ली और सोशल मीडिया एक्स पर लिख दिया कि बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के निर्देश दिए गए. अब सवाल यह उठा कि 2017 से लेकर अबतक जब यूपी में बीजेपी की ही सरकार है, तो ये भ्रष्टाचार बढ़ने की बात कहना क्या अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करना नहीं है? वह भी तब जबकि पुलिस-प्रशासन यानी गृह विभाग सीएम योगी आदित्यनाथ के पास है. 

ऐसा नहीं है केशव मौर्य ने पहली बार ली पुलिस अधिकारियों की बैठक

सवाल तो यह भी उठे कि आखिर जब गृह विभाग सीएम योगी आदित्यनाथ के पास है, तो डीजीपी समेत पुलिस अधिकारियों की बैठक केशव प्रसाद मौर्य कैसे ले रहे हैं? पर ऐसा कोई पहली बार नहीं है कि केशव मौर्य ने पुलिस अधिकारियों की बैठक ली हो या उस बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हों. असल में केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद में नेता सदन भी हैं. ऐसे में जब भी कोई नया सत्र शुरू होता है, उससे पहले विधान परिषद के नेता सदन के रूप में वह पुलिस अधिकारियों की बैठक लेते हैं. 

हमें केशव प्रसाद मौर्य के एक्स हैंडल पर ऐसी पुरानी पोस्ट मिलीं, जब किसी नए सत्र की शुरुआत से पहले उन्होंने ऐसी ही बैठक लीं और उसकी जानकारी पोस्ट में दी. इस साल के शुरुआत में जनवरी माह में बजट सत्र शुरू होने से पहले ली गई एक ऐसी ही बैठक से जुड़ी पोस्ट यहां नीचे देखी जा सकती है. 

OBC मोर्चा में केशव जो बोले उसके मायने क्या? 

हालांकि केशव प्रसाद मौर्य का ऐसी बैठकें लेना तो सामान्य बात है लेकिन इसकी टाइमिंग जरूर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. ऐसी चर्चाएं यूपी में आम हैं कि केशव मौर्य और सीएम योगी के बीच सबकुछ ठीक तो नहीं है. इस बीच इसके संकेत भी अलग-अलग तरीके से मिल रहे हैं. मसलन सोमवार की ओबीसी मोर्चा की कार्यसमिति की बैठक को ही ले लें. इस बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर दोहराया कि चुनाव पार्टी लड़ती है, सरकार नहीं. इससे पहले केशव संगठन को सरकार से बड़ा बता चुके हैं. 

केशव मौर्य ओबीसी मोर्चा की बैठक में बोलने के बाद दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को लेकर निकल गए. निकलते वक्त उन्होंने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को विक्ट्री साइन भी दिखाई. दोनों डिप्टी सीएम की ये जुगलबंदी भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है, क्योंकि ऐसा पहले उस तरह नहीं देखा गया, जैसी तस्वीर आज दिख रही है. दोनों डिप्टी सीएम के निकलने ही तुरंत बाद वहां सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे. सवाल उठे कि क्या दोनों डिप्टी सीएम अपने मुख्यमंत्री को सुनने के लिए नहीं रुके? 

सीएम योगी की समीक्षा बैठकों में भी नहीं दिखे दोनों डिप्टी सीएम

दिल्ली जाने से पहले सीएम योगी ने यूपी के सभी मंडल के पदाधिकारियों, नेताओं और विधायकों से मुलाकात की. इसे सीएम की समीक्षा बैठक कहा गया. मजेदार बात यह रही कि दोनों सीएम किसी भी समीक्षा बैठक में नहीं गए. इसके अलावा पिछले दिनों यह भी खबर आई कि सीएम योगी ने आगामी 10 सीटों पर उपचुनाव के लिए एक सुपर-30 टीम बनाई है. इस टीम में भी दोनों डिप्टी सीएम नहीं थे. 

पिछले महीने भर से यूपी में चल रही इस सियासत पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. सवाल उठ रहे हैं कि हार की समीक्षा करते-करते कहीं बीजेपी के नेता आपसी टकराव के किसी अंतहीन मुहाने पर तो नहीं खड़े हो गए हैं? सवाल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर भी उठ रहे हैं कि आखिर यूपी में दिख रहे इस कथित गतिरोध को समाप्त करने की कोई कवायद हो भी रही है या नहीं. कुल मिलाकर यूपी की सियासी तस्वीर अभी रोचक बनी हुई है. सबकी नजर इसी बात पर टिकी है कि बीजेपी अपने नेताओं के बीच एकजुटता का संदेश देने में कामयाब हो पाती है या गतिरोध की ये खाई और चौड़ी हो जाएगी.
 

    follow whatsapp