Kundarki Seat Byelection Result : उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. वहीं इन नतीजों में सबसे हैरान कर देने वाला रिजल्ट मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर दिखा. मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी में एकमात्र हिंदू प्रत्याशी ने बड़ी जीत हासिल की है. यहां बीजेपी के रामवीर ठाकुर 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है. वहीं, सपा के कद्दावर नेता और प्रत्याशी हाजी मोहम्मद रिजवान को करारी हार का सामना करना पड़ा.
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कुंदरकी के नतीजे सामने आने के बाद लोग इस बात से हैराी जता रहे हैं कि आखिर 65 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों के बीच बीजेपी का हिंदू प्रत्याशी इतनी शानदार जीत कैसे हासिल किया? जानकारी के मुताबिक इस बार कुंदरीक में कोई हिंदू और मुस्लिम का ध्रुवीकरण नहीं था बल्कि मुसलमानों के भीतर तुर्क और शेख बिरादरी के ध्रुवीकरण का फायदा बीजेपी को मिला.
कुंदरकी के जीत का मॉडल
यूं तो समाजवादी पार्टी का सीधा आरोप है कि भाजपा ने EVM में वोट डंप कराए हैं लेकिन बीजेपी के रामवीर सिंह ने सियासी हाजी रिजवान को मुसलमान में अपनी लोकप्रियता से काफी पीछे छोड़ दिया था. लगातार तीन बार से चुनाव हार रहे रामवीर सिंह को मालूम था कि बगैर मुसलमान के वोट के वह यह सीट नहीं जीत सकते. इसलिए मुसलमान में पिछले दो दशकों से की गई उनकी मेहनत इस बार रंग लाई है.
बेशक पूरे प्रदेश में "बटेंगे तो कटेंगे" का नारा चल रहा हो लेकिन कुंदरकी में रामवीर सिंह लगातार नमाजी टोपी और अरबी गमछा पहन कर मुसलमान के बीच बने रहे. भाजपा के प्रत्याशी रामवीर सिंह बेशक तीन चुनाव हारे हैं लेकिन मुसलमानों के सबसे ज्यादा काम बिना विधायक रहते अपने क्षेत्र में उन्होंने कराया है. यही नहीं किसी भी विधायक से बड़ा दरबार अपने क्षेत्र में लगाने और सभी मुसलमानों के किसी भी समारोह में शिरकत करने के लिए मशहूर रहे हैं. मुसलमानों के बीच मुस्लिम छवि लेकर घूमते रामवीर सिंह को इसबार मुसलमानों ने जमकर वोट दिया. खासकर शेख बिरादरी, रामवीर सिंह के पीछे खड़ी नजर आई जबकि तुर्क बिरादरी से आने वाले हाजी रिजवान मुसलमानों में अपनी पकड़ नहीं बना पाएं.
ये रहा जीत का फार्मूला
हाजी रिजवान की हार में उनके खिलाफ एंटी इनकमबेसी का बड़ा रोल रहा है. तीन बार से विधायक रहने के बावजूद जनता की उम्मीद पर हाजी रिजवान खरे नहीं उतरे. यही नहीं मतदान के दौरान ही उन्होंने चुनाव रद्द करने की मांग की. सपा प्रत्याशी के इस मांग के बाद से ही मुस्लिम वोटरों ने फिर दोपहर बाद एकतरफा वोटिंग बीजेपी के लिए कर डाली. बीजेपी के इस जीत में ये भी चर्चा रही कि इस बार मुसलमानों में रामवीर को लेकर एक और चर्चा खूब रही कि उन्हें ढाई साल के लिए प्रयोग करके देखा जाए. अगर यह उम्मीद पर खरे उतरे तो ठीक नहीं तो 2027 में फिर से समाजवादी पार्टी की ओर देखा जाएगा.
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