उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने लखीमपुर खीरी हिंसा में किसानों के कुचले जाने के मामले में सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. इस चार्जशीट के दाखिल होने के बाद विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, “5000 पेज वाली चार्जशीट का सच पूरे देश ने वीडियो के रूप में देखा है फिर भी मोदी सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है. भारत गवाह है! #टेनी_को_बर्खास्त_करो.”
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, “लखीमपुर किसान हत्याकांड में 5 हजार पेज की चार्जशीट वास्तव में बीजेपी की डबल इंजन सरकार का काला चिट्ठा है. आज बीजेपी का हर समर्थक-कार्यकर्ता शर्मिंदा है और सामाजिक बहिष्कार के डर से डरा है. जो जीवन देने वाले अन्नदाता की हत्या कर सकते हैं, वो किसी और को क्या छोड़ेंगे.”
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है, “झूठी माफी और कानून वापस लेने जैसे चुनावी कदम भी मोदी जी की किसान विरोधी सोच को ढक नहीं सकते. वे रक्षक के पद पर हैं, लेकिन भक्षक के साथ खड़े हैं. लखीमपुर खीरी नरसंहार मामले की चार्जशीट में भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे ही किसानों को कुचलने की घटना के मुख्य आरोपी हैं…लेकिन नरेंद्र मोदी जी के सरंक्षण के चलते मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर जांच की आंच तक नहीं आई और वे अपने पद पर बने हुए हैं. #टेनी_को_बर्खास्त_करो.”
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एसपी यादव के मुताबिक, एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत में 5000 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है.
उन्होंने बताया कि यह आरोप पत्र पिछले साल तीन अक्टूबर को गाड़ियों से कुचलकर चार किसानों की कथित रूप से हत्या किए के मामले से संबंधित है. इसमें वीरेंद्र शुक्ल नामक एक और आरोपी का नाम शामिल किया गया है. इस तरह मामले के अभियुक्तों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है.
यादव ने बताया कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त आशीष के साथ-साथ अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, सत्यम त्रिपाठी, लतीफ उर्फ काले, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशुपाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा नामक अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
बता दें कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर जिले के तिकुनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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