Lakhimpur Kheri Violence Update: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दिए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि वह न्याय की प्रक्रिया को ‘‘प्रभावित’’ कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने आशीष मिश्रा को 2021 में हुए लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में बुधवार को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी और जेल से छूटने के एक सप्ताह के अंदर उत्तर प्रदेश छोड़ने का निर्देश दिया. इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने निर्देश दिया कि आशीष अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान न तो उत्तर प्रदेश और न ही दिल्ली में रह सकेगा.
एसकेएम ने एक बयान में कहा, “केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत के आदेश पर संयुक्त किसान मोर्चा हैरानी और निराशा जाहिर करता है.” बयान में कहा गया है, ‘‘हालांकि यह थोड़े संतोष की बात है कि आदेश में कहा गया है कि मिश्रा को अपनी रिहाई के एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा और वह उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रह सकते.”
एसकेएम ने कहा कि आशीष मिश्रा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ हैं और उनकी रिहाई से न्याय की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.
इसमें कहा गया है, “यह ध्यान में रखा जा सकता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी और आरोप पत्र में नरमी बरत रही थी और आखिरकार उच्चतम न्यायालय को स्वतंत्र जांच और कार्रवाई का आदेश देना पड़ा था.” एसकेएम ने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि लखीमपुर खीरी कांड मामले में जेल में बंद निर्दोष किसानों को अंतरिम जमानत दे दी गई है.
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का किसानों द्वारा विरोध किए जाने के दौरान तीन अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था और इस एसयूवी में आशीष बैठा था. इस घटना के बाद एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं को गुस्साए किसानों ने कथित रूप से पीट-पीट कर मार डाला था। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले साल 26 जुलाई को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.
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