उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही. जिन्ना को लेकर समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
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मायावती ने 1 नवंबर को ट्वीट कर कहा है, ”एसपी मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर कल हरदोई में दिया गया बयान और उसे लपककर बीजेपी की प्रतिक्रिया, यह इन दोनों पार्टियों की अंदरूनी मिलीभगत और इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि यहां यूपी विधानसभा आमचुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हिंदू-मुस्लिम करके खराब किया जाए.”
इसके अलावा मायावती ने कहा है, ”एसपी और बीजेपी की राजनीति एक-दूसरे के पोषक और पूरक रही है. इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी और साम्प्रदायिक होने के कारण इनका अस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है. इसी कारण एसपी जब सत्ता में होती है तो बीजेपी मजबूत होती है, जबकि बीएसपी जब सत्ता में रहती है तो बीजेपी कमजोर.”
क्या था अखिलेश यादव का बयान?
अखिलेश यादव ने 31 अक्टूबर को हरदोई की एक जनसभा में कहा था, ”सरदार (वल्लभ भाई) पटेल जी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था में पढ़े और बैरिस्टर बनकर आए थे. एक ही जगह पर उन्होंने पढ़ाई-लिखाई की. वो बैरिस्टर बने. उन्होंने आजादी दिलाई.”
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लिए बिना कहा था, “अगर कोई विचारधारा (आरएसएस की) है जिस पर प्रतिबंध लगाया गया था तो वह लौह पुरुष सरदार पटेल थे जिन्होंने प्रतिबंध लगाने का काम किया था.”
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा था, ” आज, जो लोग देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, वे हमें और आपको जाति और धर्म के आधार पर विभाजित कर रहे हैं.”
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