मायावती के भतीजे आकाश आनंद पास हुए या फेल? चार राज्यों के चुनावी रिजल्ट में बसपा का ऐसा हाल

कुमार अभिषेक

• 09:11 AM • 04 Dec 2023

Uttar Pradesh News : चार राज्यों के चुनावी नतीजों में बसपा को झटका लगा है लेकिन सपा और दूसरे क्षेत्रीय दलों से बेहतर नतीजे देने…

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Uttar Pradesh News : चार राज्यों के चुनावी नतीजों में बसपा को झटका लगा है लेकिन सपा और दूसरे क्षेत्रीय दलों से बेहतर नतीजे देने में बसपा कामयाब रही है. चार राज्यों के चुनाव परिणाम आते ही मायावती ने x पर लिखा कि इस चुनाव के नतीजे रहस्यात्मक और हैरान करने वाले हैं. लोगों को भी ये परिणाम उनके गले के नीचे नहीं उतर पा रहा. हालांकि मायावती ने यह भी माना है कि इन नतीजे से उनकी पार्टी में नई जान आई है.

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ऐसा रहा बसपा का प्रदर्शन

बेशक यूपी के बाहर सीटों के लिहाज़ से बसपा और सिमट गई हो,उनकी उम्मीदों को झटका लगा हो लेकिन बसपा ने एक बार फिर यह दिखाया कि इस हिंदी पट्टी में बीजेपी और कांग्रेस के बाद अगर कोई पार्टी अपना वोट बैंक रखती है तो वह है बहुजन समाज पार्टी. बसपा को इस बार छत्तीसगढ़ में 2.09 फीसदी, राजस्थान में 1.82 फीसदी, मध्य प्रदेश में 3.4 फीसदी और तेलंगाना में 1.38 फीसदी वोट मिले हैं. एमपी में बसपा को 3.29 फीसदी वोट मिले ‘जबकि 2018 में 5.01 फीसदी वोट मिले थे हैं, इसबार मायावती मध्यप्रदेश में एक भी सीट नहीं जीती जबकि 2018 में BSP ने 2 सीटें जीती थी.

कांग्रेस का बिगाड़ा खेल

मायावती ने मध्यप्रदेश में 178 और छत्तीसगढ़ में 53 उम्मीदवार उतारे थे, 8 रैलियां कीं और उन्हें जीत की पूरी उम्मीद भी थी. लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. यहां नागोड़, सिरमौर और सुमावली जैसी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही. एक सीट भी नहीं जीत सकी, पर 2 दर्जन सीट पर कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ा है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मायावती ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से समझौता किया था लेकिन दोनों ही पार्टियों को कोई सीट नहीं मिली यह एक तरीके का दलित और आदिवासी गठबंधन था हिंदी बेल्ट में यह मायावती के लिए एक झटके के समान है.

2024 से पहले मायावती को मिली संजीवनी!

चुनाव के नतीजे ने मायावती को निराश जरूर किया लेकिन इस नतीजे के भीतर एक सबक भी छुपा है कि मायावती कुछ हद तक अपने वोटो को बचाने में कामयाब रही. इन चार राज्यों में बीएसपी के वोट बैंक पर अब नजर इंडिया गठबंधन की जरूर होगी. क्योंकि बीएसपी इकलौती ऐसी पार्टी है जो तीनों राज्यों में कम से कम दर्जन भर सीटों पर बहुत अच्छा चुनाव लड़ती नजर आई. हालांकि मायावती ने अब 10 दिसंबर को पार्टी की बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति पर वह समीक्षा करेगी. उसमें चर्चा यह जरूर होगी कि क्या अब वक्त आ गया है कि किसी गठबंधन का साथ लिया जाए या नहीं?

भतीजे को मिली थी जिम्मेदारी

यह पहला चुनाव है जब मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर इन राज्यों की कमान भी दी थी. लेकिन अपने पहले ही इम्तिहान में आकाश आनंद को झटका लगा न सिर्फ राजस्थान और मध्य प्रदेश में सीटों का नुकसान हुआ बल्कि वोट प्रतिशत भी गिरा. अगर कांग्रेस और दूसरे क्षेत्रीय दलों से वोटों और सीटों की गिरावट की तुलना करें तो बसपा का प्रदर्शन फिर भी बेहतर रहा.

सपा का भी बुरा हाल

अगर इन राज्यों में बसपा का प्रदर्शन अच्छा होता तो आकाश आनंद को इसका क्रेडिट मिलता और यह भी दिखता कि अब विरासत धीरे-धीरे उनके भतीजे तक जा रही है लेकिन आकाश आनंद को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. बीएसपी के अलावा दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों मसलन सपा आरएलडी और चंद्रशेखर रावण की पार्टी अगर इन पार्टियों को भी देखें तो दूर-दूर तक इन पार्टियों को दूरबीन से देखने पर भी वोट प्रतिशत नहीं दिखाई देता. समाजवादी पार्टी को अब तक का सबसे कम वोट प्रतिशत मध्य प्रदेश में मिला. बहरहाल, सभी पार्टियों अब आत्म मंथन में जुट रही हैं और सबके लिए एक बाद विपक्षी गठबंधन ही एकमात्र रास्ता दिखाई देता है.

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