2024 का लोकसभा चुनाव मायावती लड़ेंगी अकेले, इससे ‘INDIA’ को नुकसान या फायदा? यहां समझिए

यूपी तक

21 Jan 2024 (अपडेटेड: 21 Jan 2024, 09:29 AM)

यूपी की पूर्व सीएम और बसपा चीफ मायावती ने इस बात का ऐलान किया है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले लड़ेगी.

शिवपाल का मायवाती पर तीखा प्रहार, बोले- उनसे पूछो किसका डर सता रहा CBI या...

शिवपाल का मायवाती पर तीखा प्रहार, बोले- उनसे पूछो किसका डर सता रहा CBI या...

follow google news

Mayawati News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी हलचल तेज हो गई. वहीं, बात अगर 80 लोकसभा सीट वाले राज्य उत्तर प्रदेश की करें तो यहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लेकर समूचा विपक्ष अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गया है. गौर करने वाली बात यह है कि यूपी की पूर्व सीएम और बसपा चीफ मायावती ने इस बात का ऐलान किया है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले लड़ेगी. बता दें कि यूपी Tak के सहयोगी न्यूज Tak की इस बार की साप्ताहिक सभा में दलित चिंतक और प्रोफेसर बद्री नारायण व ‘Tak’ क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने इसी मुद्दे पर बात की. आइए समझते हैं कि मायावती के इस फैसले के क्या हैं मायने और नफे-नुकसान.

यह भी पढ़ें...

मायावती के इस फैसले को कैसे देखते हैं?

बद्री नारायण ने कहा, “मायावती के इस फैसले को देखने के दो नजरिए हैं. एक नजरिया ये है कि हम बसपा को छोड़ अन्य दलों यानी भाजपा या INDIA अलायंस को इससे क्या फायदा-नुकसान होगा इसे देखें. दूसरा ये कि मायावती के समक्ष उपलब्ध विकल्पों के बाद भी उनके लिए गए इस निर्णय को देखना है. बसपा को लेकर मेरी जो समझ है कि, कांशीराम के जमाने से ही पार्टी का किसी दल के साथ गठबंधन करने में उतना विश्वास नहीं रहा है.”

बकौल बद्री नारायण, “हालांकि वे अलायंस के साथ गए हैं, लेकिन उन्हें उतना अच्छा रिस्पांस नहीं मिला है. उसके बाद भी वो अलायंस की बात करते थे, लेकिन वो अलायंस किसी राजनैतिक दल के बजाय समाज के विभिन्न वर्गों के साथ करने की होती है. बीएसपी समाज के विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर अलायंस बनाती रही है और वर्तमान में भी पार्टी की यही रणनीति है. हालांकि हाल के समय में उनके वोट बैंक में आई कमी ने उनके लिए थोड़ी असहज स्थिति जरूर पैदा की है.”

उन्होंने आगे कहा, :तो मेरा ये मानना है कि मायावती की ये रणनीति है कि अलायंस के साथ जाकर अपनी पहचान खोने से अच्छा है कि अकेले चुनाव लड़ें. भले ही परिणामों में तीसरे-चौथे स्थान पर ही क्यों न रहें. इसके पीछे की एक बड़ी वजह ये भी है कि चुनाव बाद यदि उनके पास कुछ सीटें रहती है तो वो दूसरे दलों से ज्यादा बेहतर तरीके से निगोशिएट कर सकती हैं.”

क्या मायावती का रुख पोस्ट पोल अलायंस की तरफ है?

इस पर मिलिंद खांडेकर ने कहा, “देखिए मुझे ऐसा लगता है कि वर्तमान में चुनाव को लेकर जो हालत बन रहे हैं, तो उसमें पोस्ट पोल अलायंस की संभावना न के बराबर है. क्योंकि अभी तक जितने भी ओपिनियन पोल आए हैं, सभी में भाजपा या NDA को पूर्ण बहुमत मिल रहा है. हालांकि मुझे मायावती की सियासत में थोड़ा परिवर्तन जरूर दिख रहा है. जैसा कि उन्होंने पिछले दिनों अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनैतिक वारिस बनाया, तो वो आगामी चुनाव अकेले ही लड़ने के मूड में हैं. भले ही उनकी हार ही क्यों न हो जाए.

उन्होंने आगे कहा, “मुझे ये एक बात जरूर लगती है कि बीएसपी 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव को लेकर तैयारी कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए लड़ाई लड़ेगी क्योंकि हाल के वर्षों में हमने देखा है कि पार्टी के जनाधार में लगातार गिरावट देखने को मिली है.”

बीएसपी के इस फैसले से INDIA गठबंधन का नुकसान होगा या फायदा, इस बात को और बेहतर समझने के लिए नीचे दी गई वीडियो रिपोर्ट को देखें.

    follow whatsapp