समाजवादी पार्टी के महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव की यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात और अपने करीबियों की पैरवी करने पर सियासत गरमा गई है. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, उसके बाद सपा गठबंधन से अलग हुए ओम प्रकाश राजभर ने निशाना साधा, तो खुद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर जवाब मांग लिया. अब मुलायम परिवार की छोटी बहू और बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने भी इस मामले पर सवाल उठा दिया है.
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प्रोफेसर रामगोपाल यादव की सीएम योगी से मुलाकात पर शिवपाल सिंह यादव के बाद अब अपर्णा यादव ने भी सवाल उठाया है. बता दें कि शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर सवाल किया था कि ‘न्याय की ये लड़ाई अधूरी क्यों?’ इसके साथ ही आजम खान, नाहिद हसन, शहजिल इस्लाम और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए क्यों नहीं?’
शिवपाल ने इस ट्वीट से न सिर्फ रामगोपाल यादव को घेरा बल्कि ये बताने की कोशिश की कि सपा मुसलमानों का नहीं बल्कि सिर्फ अपने करीबियों का साथ देती है. यही नहीं शिवपाल ने वो चिट्ठी भी ट्विटर पर पोस्ट कर दी, जो रामगोपाल यादव ने मुख्यमंत्री को दी थी. उसके बाद मुलायम परिवार की छोटी बहू ने भी इस पर सवाल उठा दिया है.
अपर्णा यादव ने कहा कि कोई भी अपने राज्य के मुखिया से मिल सकता है. उन्होंने कहा,
“बीजेपी ने जब मैनिफेस्टो जारी किया था, तब अपराध और अपराधियों के के लिए जीरो टॉलरन्स की बात कही थी. खुद प्रधानमंत्री जी ने, अमित शाह जी ने ये कहा था कि जब योगी जी सीएम बने, तो बुल्डोजर एक प्रतीक बना आम आदमी की सुरक्षा के लिए. कोई भी व्यक्ति अगर अपराधियों की पैरवी कर रहा है, उसकी नहीं सुनी जाएगी.”
अपर्णा यादव
शिवपाल सिंह यादव की तरह खुद अपर्णा यादव भी इस बात पर सवाल उठा रही हैं कि सपा लड़ाई लड़ने में सिलेक्टिव है. अपर्णा कहती हैं कि ‘अगर कोई पिछड़ों और वंचितों की बात रखता है तो वो बीजेपी ही है. एक आदिवासी समाज की महिला को राष्ट्रपति पद पर आसीन होने का मौका देकर ये बीजेपी ने साबित भी कर दिया है.
अपर्णा कहती हैं कि ‘इस चिट्ठी में दो लोगों का नाम है ये बात पब्लिक हो चुकी है. उन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. किसी अपराधी की पैरवी नहीं सुनी जाएगी. अपराध और अपराधियों के लिए यूपी में कोई जगह नहीं है.’
दरअसल, रामगोपाल यादव एटा के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव और भाई जोगेंद्र यादव के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई रोकने और उनकी संपत्ति बचाने के लिए मुख्यमंत्री से मिले और उनको पत्र सौंपा. इस बात पर भी अपर्णा यादव कहती हैं कि ‘वो सही हैं या गलत, न तो ये निर्णय मैं कर सकती हूं. न जिन्होंने पत्र दिया है वो ले सकते हैं. ये जांच का विषय है.’ अपर्णा इस बात पर जोर देती हैं कि जांच की एक प्रक्रिया है. जब जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा तो बिना मतलब की पैरवी की कोई जरूरत नहीं.’
यूपी चुनाव 2022 से ठीक पहले सपा छोड़ बीजेपी में शामिल हुईं अपर्णा यादव यूपी में अपराध नियंत्रण के लिए किए जा रहे काम को बताती हैं. अपर्णा कहती हैं कि
“बुल्डोजर यूपी में न्याय और सुरक्षा का प्रतीक बना है, जिन दो लोगों का नाम लिखा गया है, उन दोनों लोगों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. उनको उसी तरह से उनको ‘ट्रीट’ किया जाएगा अगर उन्होंने अपराध किया होगा.”
अपर्णा यादव
इस बीच सियासी गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि रामगोपाल यादव के मुख्यमंत्री से मिलने की बात पहले से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पता थी या नहीं. अपर्णा कहती हैं कि उनको जानकारी नहीं है कि अखिलेश यादव को ये जानकारी होगी या नहीं. वो कहती हैं कि ये सवाल समाजवादी पार्टी अध्यक्ष से ही होना चाहिए, वो (अपर्णा) अब बीजेपी नेता हैं ऐसे में उनको ये जानकारी नहीं है. अपर्णा कहती हैं ‘पर जिस तरह से गुपचुप तरीके से मिलने की कोशिश की गई फिर वो खत ही पब्लिक डोमेन में आ गया समाज बहुत पढ़ा लिखा है.’
विधान परिषद में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा निरस्त होने पर अपर्णा कहती हैं कि उनको बहुत दुख है कि ऐसा हुआ और इस बात की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी की टेक्निकल टीम की थी. इन्हें ये चेक करना चाहिए था.
अपर्णा कहती हैं कि ‘सिविक्स की पढ़ाई करने वाला बच्चा भी जानता है कि एमएलए और एमएलसी बनने के लिए कितनी उम्र होती है. किसी महिला को कागज भरवा दिया उसके बाद उसको अपमानित होकर वापस आना पड़ा.’
रामगोपाल यादव के मामले पर ट्वीट कर अपनी बात रखने के लिए शिवपाल सिंह यादव की तारीफ करती हुईं अपर्णा यादव कहती हैं कि ‘उन्होंने आज भी सच को उजागर करने का काम किया है.’
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