क्या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी में सुलह का रास्ता बंद हो चुका है? ये सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि अखिलेश यादव इन दिनों राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर यूं बरस रहे हैं कि कोई दुश्मन भी शरमा जाए. हाल में राहुल गांधी ने तेलंगाना में चुनाव प्रचार करते हुए जाति जनगणना को “एक्स-रे” बताया. जवाब में अखिलेश ने मध्य प्रदेश के कटनी की रैली में खूब ताना मारा. अखिलेश यादव ने कहा कि ‘‘जब एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) और सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) स्कैन जैसी नयी तकनीक उपलब्ध है तो एक्स-रे क्यों?’’
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अखिलेश यादव मध्य प्रदेश (एमपी) विधानसभा चुनाव में बेहद आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे हैं. ऐसा प्रचार तो उन्होंने यूपी के हालिया उपचुनावों में भी नहीं किया, जहां उनकी इज्जत ज्यादा दांव पर थी. बात समझने के लिए एमपी के साल 2018 के चुनाव नतीजों पर नजर डालते हैं.
साल 2018 में 230 सीट वाली एमपी विधानसभा में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस पार्टी 114 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी थी और उसने निर्दलीय, एसपी और बीएसपी की मदद से सरकार बनाई थी.
2018 में समाजवादी पार्टी ने सीट तो एक ही जीती थी लेकिन 11 सीट पर उसके वोट हार-जीत के अंतर से ज्यादा थे. इन 11 में से 8 सीट बीजेपी ने जीती थी. इस बार भी एमपी में बीजेपी- कांग्रेस में मुकाबला कांटे का दिख रहा है.
जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव एमपी में 5-6 सीट जीतकर किंग मेकर बनना चाहते हैं, ताकि वो यूपी में कांग्रेस को काबू में रख सकें.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल में अखिलेश यादव ने कहा था कि, ”सपा यूपी की सभी 80 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार है. अगर इंडिया गठबंधन कांग्रेस के साथ रहता है तो सपा यूपी की 65 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी.”
अगर अखिलेश 65 सीट पर उम्मीदवार उतारेंगे तो आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के कांग्रेस पार्टी और जयंत चौधरी जैसे साथियों के हिस्से क्या आ पाएगा?
खास बात है कि इस लड़ाई पर नजर INDIA गठबंधन की पार्टियों से ज्यादा बीजेपी की है. 80 लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी पर ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने का दबाव है. INDIA गठबंधन में पड़ी फूट का सीधा फायदा बीजेपी को होगा.
साफ है कि फिलहाल ये कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच फिलहाल ये लड़ाई मूंछ की है, जिसकी तस्वीर 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ज्यादा साफ होगी. लेकिन एक बात साफ है कि अगर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी चुनौती देनी है, तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी को यूपी में अपनी-अपनी अकड़ को किनारे कर ‘बड़ा दिल’ दिखाना होगा.
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