Uttar Pradesh News : समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), वैसे तो एक ही I.N.D.I.A. गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन इन दिनों इनसबके बीच में सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा लग रहा है मानो इन पार्टियों के बीच एक 'शीत युद्ध' चल रहा है. वहीं अब ये शीत युद्ध सड़क पर देखने तो मिल रही है. समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को विपक्षी महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलने की घोषणा की. महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी के दो विधायक हैं.
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सपा ने छोड़ा साथ
बता दें कि शनिवार को समाजवादी पार्टी ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से बाहर निकलने की घोषणा की, जिस कारण बना शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रमुख सहयोगी द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस की तारीफ करना. महाराष्ट्र में सपा के दो विधायक हैं, और सपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अबू आजमी ने इस कदम का ऐलान किया. आजमी ने शिवसेना (यूबीटी) द्वारा एक विवादास्पद विज्ञापन की निंदा की, जिसमें बाबरी विध्वंस के लिए बधाई संदेश छपा था.
बाबरी मस्जिद पर एक पोस्ट से थी नाराजगी
अबू आजमी ने इस बारे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करने की बात कही. उन्होंने कहा कि यदि एमवीए में कोई भी ऐसी भाषा बोलता है, तो भाजपा और उनमें कोई अंतर नहीं रह जाता. इस घटनाक्रम को शिवसेना (यूबीटी) के एमएलसी मिलिंद नार्वेकर की पोस्ट से भी जोड़कर देखा जा रहा है. नार्वेकर ने बाबरी विध्वंस की तस्वीर पोस्ट की थी और शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का कथन लिखा था, 'मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने ऐसा किया.'
कांग्रेस से भी अनबन की खबरें
वहीं इससे पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भी अनबन की खबरें आ रही हैं. शीतकालीन सत्र में फैजाबाद से अपने सांसद अवधेश प्रसाद को लोकसभा में अगली पंक्ति से हटाने से नाराज है. अखिलेश इस बात को लेकर भी खफा नजर आ रहे हैं. सपा को शायद उम्मीद थी कि इस मुद्दे को राहुल गांधी सदन में उठाएंगे, लेकिन अभी तक ऐसा देखने को नहीं मिला है.
मालूम हो कि हाल में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने एमवीए पर निर्णायक जीत हासिल की थी. महायुति ने 288 में से 230 सीटें जीतीं, जिसमें भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57 और राकांपा ने 41 सीटें प्राप्त कीं. इसके विपरीत, एमवीए केवल 46 सीटों पर ही संतोष कर सका. इसके अंतर्गत उद्धव गुट के शिवसेना ने 20, कांग्रेस ने 16 और शरद गुट की एनसीपी केवल 10 सीट ही जीत पाई.
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