राज्यसभा में बुधवार को उस समय हंसी की लहर दौड़ पड़ी जब समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिको से अनूठी मांग की कि चंद्रयान-3 अभियान के तहत खींची जा रही चंद्रमा की बदसूरत तस्वीरों को वे अपने अध्ययन के लिए रखें, उन्हें जारी नहीं करें क्योंकि चंद्रमा को खूबसूरती का प्रतीक मानने वाले लोगों के मन को यह बात लग जाती है.
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यादव ने ‘भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा चंद्रयान-3’ की सफल सॉफ्ट लैंडिंग विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह अनूठी मांग की.
उन्होंने कहा, ‘‘अनंतकाल से हम लोग चंद्रमा को बहुत खूबसूरत मानते रहे. हम अपने वैज्ञानिकों से कहेंगे कि चंद्रमा की बदसूरत फोटो मत भेजिए, रिसर्च करते रहिए.’’ सपा नेता की इस अनूठी मांग से सदस्य ही नहीं सभापति जगदीप धनखड़ भी खिलखिला कर हंस पड़े.
इससे पहले यादव ने मध्यकाल के प्रसिद्ध हिंदी कवि केशव के एक दोहे का उल्लेख किया. ‘‘केसव केसन अस करि ज्यों अरि हूं न कराय चंद्रबदन मृगलोचनी बाबा बाबा कहि कहि जाय.’’
यादव ने कहा कि केशव ने अपने श्वेत केशों को कोसते हुए कहा कि उनके कारण चंद्रमा के समान मुख वाली और हिरन के समान आंखों वाली लड़कियां उन्हें बाबा कहकर संबोधित करने लगी हैं.
सपा नेता ने कहा कि महिलाओं के नाम शशि प्रभा या चंद प्रभा मिलते हैं वहीं पुरुषों के नाम में चंद लगा रहता है जैसे सुभाष चंद, मानिक चंद आदि. उन्होंने कहा कि यह इसलिए रहता है क्योंकि चंद्रमा सुंदरता का प्रतीक है.
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