BJP में शामिल हुए सुभाष पासी की कहानी, जानिए क्या है उनका मुंबई कनेक्शन

कुमार अभिषेक

• 09:22 AM • 03 Nov 2021

गाजीपुर के सैदपुर से दो बार के विधायक सुभाष पासी मंगलवार को अपनी पत्नी के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. यूपी…

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गाजीपुर के सैदपुर से दो बार के विधायक सुभाष पासी मंगलवार को अपनी पत्नी के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पासी और उनकी पत्नी को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान भोजपुरी फिल्म अभिनेता और बीजेपी नेता दिनेश लाल निरहुआ और कभी मुंबई में कांग्रेस का उत्तर भारतीय चेहरा रहे कृपाशंकर सिंह भी मौजूद थे.

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यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी दो वजहों से सुभाष पासी को लाकर बेहद उत्साहित है. पहली यह कि सुभाष पासी गाजीपुर, आजमगढ़ और जौनपुर के कुछ इलाकों में दलितों के वोटों के मद्देनजर पार्टी के लिए बेहद मुफीद साबित हो सकते हैं क्योंकि मोदी लहर के बावजूद विपक्ष में रहकर सुभाष पासी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. दूसरी वजह यह कि अब तक पूर्वांचल में बीजेपी के पास दलितों के इस समुदाय से कोई बड़ा चेहरा नहीं था, सुभाष पासी के आने से पार्टी के लिए यह कमी पूरी हुई है.

एक ऐसे वक्त में जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ गठबंधन करने से बीजेपी को इस इलाके में राजभर वोटों का नुकसान हो सकता है, तब पार्टी पासी के जरिए दलितों के इस बड़े तबके को अपने पाले में करके थोड़ी भरपाई कर सकती है.

बता दें कि इससे पहले सुभाष पासी समाजवादी पार्टी में थे. उन्हें बीजेपी में लाने वालों में कृपाशंकर सिंह और दिनेश लाल निरहुआ की बड़ी भूमिका मानी जा रही है.

कृपाशंकर सिंह मुंबई में काफी वक्त तक सियासत में पूर्वांचल से कांग्रेस का चेहरा रहे तो दिनेश लाल निरहुआ भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार.

सुभाष पासी की पहली पहचान मुंबई से ही बनी थी. पासी बहुत वक्त तक सुनील दत्त के परिवार से बहुत करीब से जुड़े रहे. परिवार के खिदमतगार के तौर पर पासी की पहचान थी. फिर पासी ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में बनाई अपनी पहचान को सियासत में इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि दत्त परिवार से करीबी की वजह से ही कांग्रेस ने 2007 में पासी को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन कांग्रेस के टिकट पर सुभाष पासी चुनाव हार गए.

2012 के विधानसभा चुनाव में एसपी ने उन्हें टिकट दिया और वह जीत गए. 2017 में भी मोदी लहर के बावजूद पासी गाजीपुर की सैदपुर विधानसभा सीट से दोबारा विधायक बने.

सुभाष पासी की एक पहचान इलाके में लोगों की ‘निस्वार्थ’ सेवा करने की भी बनी रही, चाहे मुंबई में पूर्वांचल के मजदूरों की मदद करनी हो या फिर मुंबई में अगर किसी मजदूर की मौत हो गई तो उसे घर तक भिजवाने, इलाके में मुफ्त एम्बुलेंस चलवाने जैसे काम हों. इन कामों से उन्हें लोकप्रिय बना दिया.

हाल ही में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ के दौरे पर थे तो सुभाष पासी और उनकी पत्नी की बड़ी-बड़ी तस्वीरें और होर्डिंग शहर भर में लगी थीं, लेकिन रातों-रात बीजेपी ने सुभाष पासी को अपने पाले में कर लिया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी जॉइनिंग के वक्त उनकी शान में खूब कसीदे पढ़े.

दरअसल बीजेपी के लिए यह समाजवादी पार्टी से बदला चुकाने जैसा मौका था. दरअसल, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में बड़ी सभाएं कर रहे थे, तभी समाजवादी पार्टी ने एसबीएसपी चीफ ओम प्रकाश राजभर को अपने पाले में कर लिया था. यह बात कहीं न कहीं बीजेपी को चुभ रही होगी, और अब बीजेपी ने सुभाष पासी को अपने साथ जोड़कर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है.

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