द्वारका पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को कहा कि एक संत मुख्यमंत्री नहीं हो सकता क्योंकि व्यक्ति जब संवैधानिक पद पर बैठता है तो उसे धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेनी पड़ती है और ऐसे में वह व्यक्ति धार्मिक कैसे रह सकता है.
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माघ मेले में एक संवाददाता सम्मेलन में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से पूछा गया कि योगी आदित्यनाथ एक संत हैं और उनके नेतृत्व में मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर उनकी क्या राय है, इस सवाल पर उन्होंने कहा,
“व्यक्ति एक साथ दो शपथ नहीं निभा सकता. एक संत, महंत हो सकता है, लेकिन वह मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं हो सकता. खिलाफत का यह काम मुसलमानों के यहां होता है. वहां धर्माचार्य राजा होता है.”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव पर उन्होंने कहा, “जनता सही लोगों और सही पार्टी को चुने जिससे कि उसे सरकार बनने के बाद पछताना नहीं पड़े, जैसा कि इधर देखा जा रहा है कि बहुत से लोग पश्चाताप की बात कर रहे हैं कि उनसे गलती हो गई. कम से कम जो चुनाव आपके सामने है, उसमें ऐसी गलती ना करें.”
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 403 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में वोट पड़ेंगे. 10 मार्च को चुनाव के वोटों की गिनती होगी. प्रदेश में सात चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा.
धर्म के क्षेत्र में राजनेताओं के दखल पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सभी राजनीतिक दल, धर्म के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं, कोई दल आगे हो सकता है कोई पीछे. उन्होंने कहा कि यह बात इस स्तर तक पहुंच गई है कि केवल धार्मिक लोगों से संबंध बनाना नहीं रह गया है, बल्कि वे धार्मिक स्थलों पर अपने आदमी बिठा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक दल अपनी बात कहलवाने के लिए अपने आदमी धार्मिक स्थलों पर बिठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि धर्माचार्य उनकी भाषा बोलें और यही वजह है कि पुरानी किताब से धर्म बताने वाले लोग उनको चुभ रहे हैं और ऐसे लोगों को पद से हटाने की नीति चल रही है.
द्वारका पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के प्रति हमेशा से सहानुभूति रही है और पिछले साल माघ मेले के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मनकामेश्वर मंदिर परिसर में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया था.
माघ मेले में ‘अव्यवस्था’ को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “इस बार माघ मेले में बहुत अनदेखी है. कुछ संत महात्माओं ने अनशन और आत्मदाह करने तक की बात कही है. अगर नेता चुनाव में व्यस्त हैं तो अधिकारी व्यवस्था को ठीक क्यों नहीं कर रहे हैं.”
माघ मेले में गंगा का जल स्तर अचानक बढ़ने से कल्पवासियों और साधु संतों को हो रही परेशानी पर उन्होंने कहा, “आपके (सरकार) पास आज की तारीख में रेगुलेटर है तो फिर नियंत्रित प्रवाह क्यों नहीं हो रहा है. जलस्तर बढ़ने से कई लोगों को अपने शिविर उखाड़ने पड़े और दूसरी जगह शिविर लगाना पड़ा.”
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