UP By-election: रामपुर में सोमवार को विधानसभा उपचुनाव की वोटिंग हुई. इस बार रामपुर में बेहद कम वोटिंग होने की वजह से बीजेपी गदगद दिखाई दे रही है. जबकि समाजवादी पार्टी के खेमे में जबरदस्त मायूसी और बेचैनी है. बता दें कि रामपुर वह सीट है, जहां 55 से 60 फीसदी मुसलमान वोटर हैं और इस बार यहां वोट प्रतिशत इतिहास में सबसे कम रहा है.
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इस बार रामपुर में करीब 33-34 फीसदी ही वोटिंग हुई है, जिससे बीजेपी को लगता है कि मुसलमानों की नाराजगी आजम खान के खिलाफ उभर कर आई है. बीजेपी का दावा है कि मुसलमान आजम खान से नाराज हैं. ऐसे में अगर इतनी कम वोटिंग हुई है, तो इसका सीधा असर आजम खान के वोटरों की वजह से है, जो वोट देने नहीं निकले.
सपा ने लगाया ये आरोप
वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी का आरोप है कि प्रशासन ने वोटरों को घर से निकलने नहीं दिया. उनकी पूरी कोशिश थी कि सपा के वोटर मतदान केंद्र तक ना पहुंच पाएं और प्रशासन इसमें सफल रहा, यह दावा समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं का है. जबकि बीजेपी इस सीट को लेकर इस बार आश्वस्त दिखाई दे रही है और उसे लग रहा है कि पहली बार रामपुर सदर की सीट को वह जीतने जा रही है.
खतौली में क्या है अनुमान?
वहीं, खतौली में बीजेपी के लिए चिंता बढ़ी है. ऐसा कहा जा रहा है की खतौली में मुस्लिम, जाट, गुर्जर और दलितों के एक बड़े वर्ग ने आरएलडी का साथ दिया है. वहीं, इस खबर से बीजेपी खेमे में बेचैनी है. बीजेपी यहां पिछला चुनाव महज साढे 16 हजार वोटों से जीती थी. इस बार बीजेपी के कोर वोटरों में बिखराव दिखा है.
चंद्रशेखर आजाद ने युवा दलित वोटरों में अपनी जगह बनाई है. चर्चा है कि दलित वोटरों ने आरएलडी के तरफ भी कुछ हद तक रुख किया है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता का सबब यही है कि उसके कोर वोटर ने खतौली में ‘आरएलडी का साथ दिया है.’
वहीं, बीजेपी का दावा है कि इस नुकसान के बावजूद दलितों का एक बड़ा हिस्सा उसके साथ रहा. बीजेपी के अनुसार, ओबीसी उनके साथ हैं और पार्टी का जो अपना मतदाता है उसने भी साथ दिया है. ऐसे में खतौली सीट अंततः उसकी झोली में आएगी.
खतौली में आरएलडी के गुर्जर कैंडिडेट मदन भैया को गुर्जरों ने साथ दिया है, यह बात निकल कर आ रही है. चर्चा है कि गुर्जर जो बीजेपी के वोटर माने जाते हैं, उनमें से बड़ी तादाद इस बार आरएलडी के साथ गई है और यही बीजेपी के लिए चिंता का सबब है.
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