समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की राजधानी लखनऊ स्थित जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) की एक तस्वीर से चर्चाओं का बाजार गर्म है. बता दें कि इस वायरल तस्वीर में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव हाथ में कुल्हड़ पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनकी जैकेट की जेब में बोतल जैसी कोई चीज रखी नजर आ रही है.
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अब इसी के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीतापुर में अपनी जनसभा के दौरान ‘बोतल’ का जिक्र कर चुटकी ली. ऐसा माना जा रहा है कि इस दौरान सीएम योगी के निशाने पर एसपी अध्यक्ष अखिलेश थे.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि अखिलेश यादव 27 दिसंबर यानी सोमवार को राजधानी लखनऊ में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) का निरीक्षण करने गए थे. यहां उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से JPNIC की कुछ तस्वीरें शेयर की है और लिखा,
“बीजेपी सरकार में JPNIC की दुर्दशा देखकर दुख भी होता है और बीजेपी की विकास विरोधी सोच पर क्षोभ भी. ये परम आदरणीय जय प्रकाश जी का अपमान भी है और स्वतंत्रता व लोकतंत्र के रक्षकों के प्रति कुंठित भाजपाई सोच का प्रमाण भी. बीजेपी स्वतंत्रता और लोकतंत्र की विरोधी है.”
अखिलेश यादव
एसपी अध्यक्ष की ओर से ट्वीट की गईं इन तस्वीरों में एक तस्वीर ऐसी है, जिसे लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं.
आपको बता दें कि सीतापुर की अपनी जनसभा में सीएम योगी ने कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर और कन्नोज स्थित ठिकानों पर DGGI की रेड में मिले कई सौ करोड़ कैश, सोने और चांदी को लेकर समाजवादी पार्टी पर तंज कसा.
उन्होंने कहा,
“देखा आपने समाजवादी पार्टी के नेताओं के घरों की दीवारों से भी देवी लक्ष्मी अब निकलने लग गई हैं. नोटों की गड्डियां अनगिनत, गिने नहीं जा रहे हैं. तीन दिन से गिने जा रहे हैं. गिनते-गिनते सभी अधिकारी जब थक गए हैं, तो समाजवादी पार्टी के बबुआ अपनी जेब में बोतल ले करके फिर रहे हैं. अब उनको जनता के सामने जब अपना असली चेहरा नहीं दिखाई दे रहा है, तो स्वीडन में बनी बोतल को अपनी जेब में रख करके एक नई नौटंकी करते दिखाई पड़ रहे हैं.”
योगी आदित्यनाथ
वहीं, सीएम योगी के भाषण एक एक हिस्से को ट्वीट कर उत्तर प्रदेश बीजेपी ने कहा, “‘इत्र वाले’ के ‘मित्र’ बबुआ अपनी जेब में बोतल लेकर चल रहे हैं.”
अब इस पूरे मामले में यह देखना रोचक होगा कि अखिलेश यादव या समाजवादी पार्टी की तरफ से इसे लेकर कैसी प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं. हालांकि इस तरह की जुबानी जंग से एक बात तो साफ है कि यूपी में राजनीतिक दल और उनके नेता एक-दूसरे पर हमला करने का कोई मौका गंवाते नजर नहीं आ रहे हैं.
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