उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर सभी राजनीतिक दल हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अब किसी फ्रंट पर बीजेपी को खुलकर बैटिंग करने देना नहीं चाहते. बेशक वह धर्म की पिच ही क्यों ना हो!
ADVERTISEMENT
पिछले कुछ दिनों में अखिलेश यादव खुलकर राम मंदिर, राम राज्य, ब्राम्हण पॉलिटिक्स आदि की बातें कर रहे हैं. अखिलेश यादव का लगातार अलग-अलग मंदिर भी जा रहे हैं. भगवान से जुड़ी सियासी चर्चाओं में उनकी सक्रिय भागीदारी साफ दिखा रही है कि अखिलेश यादव 2022 के चुनाव में बीजेपी को अकेले हिंदू कार्ड नहीं खेलने देना चाहते.
कुछ दिन पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो अब तक राम मंदिर बन गया होता. अगर उनकी सरकार होती तो 1 साल में राम मंदिर बन कर तैयार हो गया होता. इससे पहले समाजवादी पार्टी के किसी नेता की तरफ से राम मंदिर को लेकर ऐसा सीधा बयान देखने को नहीं मिलता. अखिलेश यादव ने अब राम मंदिर पर बोलना शुरू कर दिया है और अगर वह आने वाले दिनों में अयोध्या में राम मंदिर में दर्शन करने चले जाएं तो इसमें भी चौंकने की जरूरत नहीं.
9 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ आ रहे हैं, जहां वह बीजेपी के बड़ी रैली को संबोधित कर सकते हैं. अखिलेश यादव उस दिन अयोध्या में होंगे. हालांकि राम मंदिर जाने का उनका कोई कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर नहीं आया है, लेकिन चर्चा इस बात की जरूर चल रही है कि चौंकाते हुए अखिलेश यादव राम मंदिर के कहीं दर्शन करने ना पहुंच जाएं.
इसकी संभावना इसलिए भी है कि अखिलेश नहीं चाहेंगे कि पीएम मोदी लखनऊ रैली के दिन मीडिया का सारा स्पेस अकेले ले जाएं. ऐसे में पीएम मोदी की लखनऊ रैली के दिन अगर अखिलेश राम मंदिर दर्शन करने चले गए, तो एक तीर से दो निशाने भी सध जाएंगे.
हालांकि अयोध्या दौरे और राम मंदिर दर्शन को लेकर फिलहाल समाजवादी पार्टी की तरफ से आधिकारिक तौर कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन इसकी चर्चा जोरों पर है. अखिलेश यादव ने अपने सपने में भगवान कृष्ण के आने और रामराज्य लाने तक की बात कर दी. दरअसल हिंदू प्रतीकों पर होने वाली सियासत को लेकर अब अखिलेश यादव की झिझक धीरे-धीरे खत्म होती नजर आ रही है.
शायद इस चुनाव में अखिलेश यादव को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का उदाहरण याद आ रहा है. उनको लग रहा है पश्चिम बंगाल में जिस तरीके से ममता बनर्जी ने भरी सभा में चंडी पाठ कर अपना हिंदू चेहरा भी सामने रखा था और एकमुश्त मुस्लिम वोट ले गईं थी, वही रणनीति यूपी में भी कामयाब हो सकती है.
अखिलेश यादव को लग रहा है कि हिंदू सियासत खुलकर करने से फिलहाल कोई मुस्लिम वोट बैंक उनसे छिटकने नहीं जा रहा. मुसलमान वोटों के बंटवारे की दुविधा अब उन्हें खत्म नजर आ रही है.
बहरहाल ये तय है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे हिंदू प्रतीकों पर होने वाली सियासत पर भी घमासान बढ़ेगा. दरअसल बीजेपी अब राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद मथुरा पर भी फोकस कर रही है तो समाजवादी पार्टी खुद को प्रतीकों पॉलिटिक्स में बीजेपी के समकक्ष खड़ा रखने तैयारी में है.
ADVERTISEMENT