एक दूसरे के गढ़ में अखिलेश और CM योगी दिखा रहे सियासी ताकत, ‘पूर्वांचल का किंग’ बनने की होड़

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. एक तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यूपी की…

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. एक तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यूपी की सियासी गर्माहट नापने के लिए शनिवार, 13 नवंबर को समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसदीय छेत्र आजमगढ़ आएंगे. वहीं, दूसरी तरफ अखिलेश यादव सीएम ने सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘गढ़’ गोरखपुर में सेंधमारी करने के लिए वहां पर शनिवार को ही ‘समाजवादी विजय यात्रा’ निकाली है.

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बता दें कि 16 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी पूर्वांचल को साधते हुए यूपी को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का तोहफा देंगे, तो वहीं उसी दिन अखिलेश यादव गाजीपुर में विजय रथ के जरिए पूर्वांचल में पार्टी की बिसात मजबूत करने की कोशिश करेंगे.

गोरखपुर के बाद अखिलेश यादव 14 नवंबर कुशीनगर में ‘समाजवादी विजय यात्रा’ निकालेंगे. कुशीनगर में यह यात्रा कुशीनगर चौराहे से शुरू होकर फाजिलनगर, तमकुहीराज, किसान पीजी कॉलेज, गुलवारिया बाजार से होती हुई कुशीनगर विधान सभा के कसया बाजार मालती पांडेय कॉलेज में खत्म होगी. यहीं पर विजय रथ यात्रा के तीसरे चरण का समापन होगा, जिसके बाद अखिलेश लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे.

15 नवंबर को लखनऊ में रहने के बाद 16 नवंबर को अखिलेश एक बार फिर ठीक उसी दिन जब पीएम मोदी पूर्वांचल में एक्सप्रेसवे के कार्यक्रम में रहेंगे तभी वह गाजीपुर से विजय रथ यात्रा शुरू करेंगे, जिसका समापन 17 नवंबर को आजमगढ़ में होगा. अमित शाह के दौरे के बाद अखिलेश का आजमगढ़ जाना राजनीतिक कारणों से दिलचस्प होने वाला है.

आजमगढ़ एसपी और बीएसपी का बड़ा किला है. प्रधानमंत्री मोदी आजमगढ़ को खासा महत्व देते हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने यहां बड़ी जनसभा को संबोधित किया था. एसपी-बीएसपी के इस ‘किले’ में सेंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी चार महीने में तीन बार पूर्वांचल का दौरा कर चुके हैं. इसका एक बड़ा कारण आजमगढ़ की भौगोलिक स्थिति भी है. इस जिले की सीमाएं जौनपुर, वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, सुलतानपुर, अंबेडकरनगर, गोरखपुर से घिरी हैं.

समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया के जमाने से ये जिला समाजवादी विचारधारा से काफी प्रभावित रहा है. यहां करीब 45 प्रतिशत यादव-मुस्लिम मतदाता हैं. अगड़ी जातियां 24 प्रतिशत के करीब हैं, जबकि यहां दलित 30 प्रतिशत के आस-पास हैं. इस समाजिक समीकरण के चलते वर्षों से यह जिला एसपी-बीएसपी का गढ़ बना हुआ है.

अखिलेश यादव के गढ़ में उनके ही लापता होने के पोस्टर लगने के बाद से बीजेपी ने इस इलाके में अपनी घुसपैठ बढ़ाई. यूपी के पूर्वांचल में 28 जिलों की 164 विधानसभा सीटें है. 2017 से पहले तक पूर्वांचल एसपी का गढ़ माना जाता था. 2017 में बीजेपी ने पूर्वांचल में बड़ी बढ़त बनाई और सत्ता की कुर्सी पर बैठी. 2017 में बीजेपी को पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीट मिली थीं.

अब मुख्यमंत्री और बीजेपी संगठन इस रिकॉर्ड को कायम रखना चाहते हैं. अपनी इस मंशा की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ में यूनिवर्सिटी बनाए जाने की योजना तैयार की. आनन-फानन में यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए जमीन खोजी गई.

अब शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में गृहमंत्री अमित शाह आजमगढ़ में इस यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखेंगे. इस दौरान उनकी अकबेलपुर में जनसभा भी होगी. इस जनसभा के जरिए सीएम योगी और अमित शाह पूरे पूर्वांचल को साधने की कोशिश करेंगे. आजमगढ़ की धरती से यह दोनों नेता अखिलेश यादव को निशाने पर लेकर एक बार फिर पूर्वांचल में पार्टी की जीत का खांका भी खींचेंगे.

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