चुनाव आयोग (Election Commission) ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जाहिर सी बात है मुजफ्फरनगर जिले के लोगों को यह जानने की उत्सुकता जरूर होगी कि जिले में वोटिंग कब होगी? तो आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर, बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, खतौली और मीरापुर में पहले चरण में 10 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.
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गौरतलब है कि यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे, जबकि चुनाव के नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.
मुजफ्फरनगर जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालिए-
मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा और बीकेयू की महापंचायत प्रस्तावित है. नए किसान कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की इस महापंचायत में आसपास के जिलों के अलावा हरियाणा जैसे दूसरे प्रदेशों से भी लाखों किसानों के पहुंचने की संभावना है. ऐसे में यूपी 2022 विधानसभा चुनावों को देखते हुए मुजफ्फरनगर जिले की राजनीतिक प्रोफाइल काफी रोचक हो जाती है.
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी यूपी में अपना दबदबा बनाए रखने में कामयाब रही है, खासकर जाट प्रभुत्व वाले इलाकों में. इस बात की ताकीद दो आंकड़ों से की जा सकती है. सीएसडीएस-लोकनीति के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 77 फीसदी जाट वोट मिले थे. 2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को महज 7 फीसदी जाट वोट मिले थे. 2019 के चुनावों में यह आंकड़ा बीजेपी के फेवर में और बढ़ गया. तब बीजेपी को 91 फीसदी जाट वोट मिले. जाटों ने आरएलडी के संग एसपी-बीएसपी महागठबंधन को भी नकार दिया.
2013 के दंगों से पहले मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम वोटर्स की जुगलबंदी देखने को मिलती थी. इस जुगलबंदी की वजह से बीजेपी यहां मजबूत पैठ बनाने में हमेशा नाकाम रही, लेकिन दंगों ने यहां की राजनीति में आधारभूत बदलाव ला दिए. आइए मुजफ्फरनगर जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं.
मुजफ्फरनगर. पश्चिमी भाग में पड़ने वाला यह जिला राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक जिला है. इतिहास के पन्नों को पलटने पर पता चलता है कि साल 1,633 में खेरा और सूजडू की जमीन को मिलाकर मुजफ्फरनगर शहर की स्थापना हुई थी.
हस्तिनापुर और कुरुक्षेत्र से निकटता इस बात की तरफ इशारा करती है कि यह जिला महाभारत काल के दौरान गतिविधियों का केंद्र रहा होगा. दिल्ली-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मुजफ्फरनगर अपने गुड़ उत्पादन के लिए भी मशहूर है. यहां की गुड़ मंडी एशिया का सबसे बड़ी गुड़ मंडी है. आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं.
साल 2012 के विधानसभा चुनावों में एक भी सीट न जीतने वाली बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनावों में 6 की 6 सीटों पर कब्जा जमाया था.
2012 के चुनावों में 3 बीएसपी, 2 एसपी जबकि 1 विधानसभा सीट आरएलडी ने जीती थी. आइए विस्तार से देखते हैं कि 2012 और 2017 में मुजफ्फरनगर विधानसभा क्षेत्र में क्या थी सियासी तस्वीर.
बुढ़ाना
2017: इस चुनाव में बीजेपी के उमेश मलिक ने बुढ़ाना विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. मलिक ने एसपी के प्रमोद त्यागी को 13,201 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में एसपी के नवाजिश आलम खान ने आरएलडी के राजपाल सिंह बालियान को 10,588 वोटों से हराया था.
चरथावल
2017: इस चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी के विजय कश्यप ने एसपी के मुकेश चौधरी को 23,231 वोटों से हराया था. हाल ही में कोविड-19 संक्रमण के चलते विजय कश्यप का निधन हो गया था. वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे.
2012: इस चुनाव में यह सीट बीएसपी के खाते में गई थी. बीएसपी के नूर सलीम राणा ने बीजेपी के विजय कुमार को 12,706 वोटों के अंतर से हराया था.
पुरकाजी
2017: इस विधानसभा चुनाव में पुरकाजी सीट पर बीजेपी के प्रमोद उटवाल ने कब्जा जमाया था. उटवाल ने कांग्रेस के दीपक कुमार को 11,253 वोटों से हराया था.
2012: पुरकाजी सीट पर इस चुनाव में बीएसपी के अनिल कुमार ने कांग्रेस के दीपक कुमार को 8,908 वोटों से हराया था।
मुजफ्फरनगर
2017: मुजफ्फरनगर सीट पर इस चुनाव में बीजेपी के कपिल देव अग्रवाल ने एसपी के गौरव स्वरुप बंसल को हराया था. दोनों के बीच 10,704 वोटों का अंतर रहा था. कपिल देव अग्रवाल फिलहाल प्रदेश सरकार में मंत्री हैं.
2012: इस चुनाव में एसपी के चितरंजन स्वरुप ने बीजेपी के अशोक कंसल को 15,002 वोटों से हराया था.
खतौली
2017: इस चुनाव में बीजेपी के विक्रम सिंह ने एसपी के चंदन सिंह चौहान को 31,374 वोटों के हराया था.
2012: इस चुनाव में खतौली की सीट करतार सिंह भड़ाना की झोली में गई थी. भड़ाना ने बीएसपी के तारा चंद शास्त्री को 5,875 वोटों से हराया था.
मीरापुर
2017: इस चुनाव में बीजेपी के अवतार सिंह भड़ाना ने जीत हासिल की थी. उन्होंने एसपी के लियाकत अली को बेहद ही कड़े मुकाबले में मात्र 193 वोटों के अंतर से हराया था.
2012: इस चुनाव में बीएसपी के जमील अहमद कासमी ने रालोद के मिथिलेश पाल को 12,733 वोटों से हराया था.
5 सितंबर को किसान महापंचायत हो सकता है कोई बड़ा फैसला
मिली जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को होने वाले किसान महापंचायत में किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में बीजेपी सरकार पर दबाव बनाने के लिए कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. दूसरी ओर आरएलडी ने इस किसान महापंचात को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है और आरएलडी इस समय एसपी के साथ गठबंधन में है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महापंचायत में अगर किसान संगठन बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा फैसला लेने का ऐलान करते हैं, तो क्या किसानों का वोट आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष की ओर झुकेगा?
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