UP Nikay Chunav 2023: यूपी में निकाय चुनाव 2023 को लेकर राजनीतिक दलों में जोर आजमाइश चल रही है. यूपी विधानसभा में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. बीजेपी का दावा है कि वह सभी 17 मेयर सीटों पर जीत दर्ज करेगी. सीएम योगी समेत बीजेपी की टॉप लीडरशिप धुआंधार कैंपेन कर रही है. अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा भी जीत के दावे कर रही है. उधर मायावती ने निकाय चुनावों में इसबार मुस्लिम वोटों पर बड़ा दांव खेला है. मायावती ने 17 मेयर सीटों में से 11 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. मायावती दलित-मुस्लिम कॉम्बिनेशन पर नजर गड़ाए हुए हैं. इस बीच निकाय चुनावों को लेकर एक सर्वे सामने आया है.
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C वोटर ने एबीपी न्यूज के साथ मिलकर यूपी निकाय चुनाव का सर्वे किया है. इस सर्वे में वोटिंग से पहले यह जानने की कोशिश की गई है कि आखिर निकाय चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहने का संकेत मिल रहा है. आपको बता दें कि इस सर्वे में 15994 लोगों की राय ली गई है. सर्वे पिछले दो हफ्तों का है. इसमें मार्जिन ऑफ एरर +-3 से +-5 फीसदी का है.
सर्वे में बहुजन समाज पार्टी के लिए संकेत अच्छे नहीं
सर्वे के आंकड़े जहां बीजेपी के लिए सुकून भरे हैं, तो वहीं बसपा के लिए चिंता बढ़ाने वाले. सर्वे के मुताबिक निकाय चुनाव में बीजेपी को 45 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. सपा गठबंधन को 31 फीसदी, बसपा को 8 फीसदी और कांग्रेस को 7 फीसदी वोट मिलने का अनुमान जताया गया है. सर्वे में अन्य को 9 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
आपको बता दें कि इस निकाय चुनाव में बसपा ने 11 मुस्लिम नेताओं को मेयर का कैंडिडेट बनाया है. बसपा ने लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, अलीगढ़ और बरेली नगर निगमों में मेयर पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं. वहीं, सपा और कांग्रेस ने सिर्फ चार-चार मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. भाजपा ने मेयर की किसी भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है.
बसपा ने लखनऊ से शाहीन बानो, मथुरा से राजा मोहतासिम अहमद, फिरोजाबाद से रुखसाना बेगम, सहारनपुर से खादिजा मसूद, प्रयागराज से सईद अहमद, मुरादाबाद से मोहम्मद यामीन, मेरठ से हसमत अली, शाहजहांपुर से शगुफ्ता अंजुम, गाजियाबाद से निशारा खान, अलीगढ़ से सलमान शाहिद और बरेली से युसूफ खान को उम्मीदवार बनाया है.
2017 के निकाय चुनावों में बीएसपी आगरा और अलीगढ़ में अपने मेयर जिताने में कामयाब रही थी. इस बार बीएसपी ने इमरान मसूद जैसे ऐसे मुस्लिम नेताओं को साथ लाकर मुस्लिम वोटर्स को अपनी ओर खींचने की रणनीति बनाई है.
खबरें तो अतीक की पत्नी शाइस्ता को प्रयगराज से मेयर चुनाव लड़ाने की भी थीं. हालांकि इस बीच शाइस्ता के बेटे असद के एनकाउंटर और अतीक-अशरफ की हत्या ने माहौल बदल दिया. शाइस्ता फिलहाल फरार हैं. बीएसपी विधायक उमा शंकर सिंह ने रविवार को कहा था कि शाइस्ता परवीन अभी भी पार्टी में हैं और अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाएगा. बीएसपी का पूरा प्रयास है कि वह मुस्लिम वोटर्स को इमोशनल ग्राउंड पर अपनी ओर खींच सके.
सर्वे के मुताबिक नहीं चलता दिख रहा मुस्लिम-दलित एकता का दांव
बसपा की तमाम रणनीतियों का असल सियासी फायदा तो चुनाव बाद पता चलेगा. फिलहाल सर्वे के नतीजों की मानें तो मायावती का दलित-मुस्लिम गठजोड़ वाला दांव चलता नजर नहीं आ रहा. हालांकि यहां यह भी साफ करना जरूरी है कि चुनाव पूर्व इस सर्वे के नतीजों को असल चुनावी परिणाम नहीं समझा जा सकता. असली नतीजे सर्वे के नतीजे से अलग भी हो सकते हैं. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में चार मई और 11 मई को नगर निकाय चुनाव होने हैं और मतगणना 13 मई को की जाएगी. यानी 13 मई को ही असल मायने में पता चल पाएगा कि निकाय चुनावों में मायावती की रणनीति कितनी कारगर साबित हो पाती है.
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