राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी राय सामने रखी है.
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इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में किशोर ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों की झलक 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी दिखे.
जब किशोर से उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण के असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “जो भी ‘ध्रुवीकरण करने वाला’ चेहरा है या जो भी ध्रुवीकरण की घटना है, उसकी सीमाएं होंगी.”
इसके अलावा उन्होंने कहा, ”बहुत सारे लोग इस जाल में फंस रहे हैं कि यूपी में जो कुछ भी होगा वह 2024 के लिए टोन सेट करेगा. मैं डेटा के साथ इसका खंडन करूंगा. 2012 में बीजेपी यूपी में नंबर 3 या नंबर 4 पार्टी थी. (तब) समाजवादी पार्टी ने राज्य में जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं पड़ा.”
किशोर ने आगे कहा, ”अगर यह सच था तो आप यह क्यों कह रहे हैं कि जो 2022 में होगा वह 2024 में होगा?”
उन्होंने कहा कि यह धारणा बीजेपी के अनुकूल है क्योंकि 2022 में अगर उसे यूपी में जीत मिलती है, तो (इसके हिसाब से) बाकी पार्टियां 2024 में हार मान लें.
प्रशांत किशोर ने कहा, ”2022 का यूपी चुनाव सेमीफाइनल नहीं है. 2024 से पहले कई अन्य राज्यों में भी चुनाव होने हैं.”
बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने भी 2024 के लोकसभा चुनाव को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़ा था. उन्होंने कहा था, ”मोदी जी के नेतृत्व में अगला लोकसभा का चुनाव जीतना है 2024 में, उसकी नींव डालने का काम उत्तर प्रदेश का 2022 का विधानसभा (चुनाव) करने वाला है.”
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