SP नेताओं पर आयकर छापे को लेकर जया बच्चन बोलीं- ‘यूपी चुनाव से पहले घबराहट में सरकार’

भाषा

• 11:40 AM • 21 Dec 2021

समाजवादी पार्टी (सपा) की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने मंगलवार को दावा किया कि उनकी पार्टी के कुछ सहयोगियों पर आयकर विभाग की हालिया छापेमारी…

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समाजवादी पार्टी (सपा) की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने मंगलवार को दावा किया कि उनकी पार्टी के कुछ सहयोगियों पर आयकर विभाग की हालिया छापेमारी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की घबराहट को प्रदर्शित करती है.

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उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के स्वतंत्र रूप से काम करने संबंधी सरकार के दावे की हंसी उड़ाते हुए कहा, ‘क्या हम निरक्षर, अनपढ़ हैं’, जो इस पर विश्वास कर लें.’’

बता दें कि जया की पुत्रवधू और अभिनेत्री ऐश्वर्या रॉय बच्चन भी 2016 के ‘पनामा पेपर्स’ वैश्विक कर लीक प्रकरण से संबद्ध एक मामले में पूछताछ के लिए सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष उपस्थित हुईं.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि उनका बयान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत दर्ज किया जा रहा है. हालांकि, जया ने अपनी पुत्रवधू से पूछताछ होने के बारे में कोई सीधी टिप्पणी नहीं की.

अपनी पार्टी (एसपी) के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘वे (सरकार) घबराहट में हैं. उनके पास कई एजेंसियां हैं और उनका दुरूपयोग कर रहे हैं…‘हवा बड़ी करारी है, लाल टोपी सब पर भारी है.’’ लाल टोपी एसपी से संबद्ध है जिसके सदस्य पार्टी के कार्यक्रमों में अक्सर इसे पहनते हैं.

बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन की पत्नी ने संवाददाताओं से बात करते हुए राज्यसभा से विभिन्न राजनीतिक दलों के 12 सदस्यों के निलंबन को लेकर भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं करा रही है.

राज्यसभा में सोमवार को एक विधेयक पर चर्चा के दौरान जया अपने खिलाफ एक ‘‘निजी टिप्पणी’’ से इतनी आहत हुईं कि उन्होंने बीजेपी सदस्यों को श्राप दे दिया कि जल्द ही उनके ‘‘बुरे दिन’’ आने वाले हैं.

आक्रोशित जया ने आसन से कहा कि उन्हें निष्पक्ष होना चाहिए. उन्होंने विपक्ष की आवाज को दबाए जाने का आरोप भी लगाया.

उन्होंने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सिर्फ अपने दिल की भावना प्रकट की और यह संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास प्रतिदिन धरना दे रहे निलंबित सदस्यों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के तौर पर थी. विपक्षी सदस्य अपना निलंबन रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश का संभवत: संदर्भ देते हुए कहा कि वह (सरकार) देश को बेच रही है और विपक्ष अपनी आवाज तक नहीं उठा सकता है.

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