उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आगामी 25 मार्च को होगा और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि योगी आदित्यनाथ फिर से सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले काशी कॉरिडोर के निर्माण को पूरा करने वाली बीजेपी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में विंध्याचल कॉरिडोर का निर्माण शुरू करेगी. इसके जरिए जहां पार्टी ‘भगवा एजेंडा’ को धार देती दिखेगी, तो वहीं सरकार पर्यटन और रोजगार बढ़ाकर सूबे के विकास का वायदा भी निभाएगी.
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आपको बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ काशी कॉरिडोर के निर्माण से जिस तरह सरकार ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का संदेश देकर काशी के विकास का वादा पूरा करने की बात कही थी, उसी तरह इस बार विंध्याचल कॉरिडोर की बारी है. मिर्जापुर में आदि शक्ति विंध्यवासिनी देवी के मंदिर का कायाकल्प करने वाली निर्माण योजना में तेजी आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
कहा जा रहा है कि चैत्र नवरात्र के बाद से यहां निर्माण तेज होगा, क्योंकि नवरात्र में रोज यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है. उससे पहले गंगा से मंदिर तक जाने वाली एप्रोच रोड को समतल किया जाएगा. बता दें कि इस कॉरिडोर को बनाने का वायदा बीजेपी के संकल्प पत्र में भी किया गया है.
दरअसल, विंध्याचल कॉरिडोर का प्लान बीजेपी के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पूर्वांचल के आस पास के क्षेत्रों के लोग सीधे जुड़े हैं. हालांकि, आस पास के मकानों और दुकानों को लोगों की सहमति से मुआवजा देकर लिया गया है, जिससे कॉरिडोर को भव्य रूप दिया जा सके.
क्या है विंध्याचल कॉरिडोर प्रोजेक्ट?
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विंध्याचल कॉरिडोर के तहत मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी के मंदिर का कायाकल्प करने की योजना है.
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पौराणिक आख्यानों के अनुसार, विंध्य पर्वत पर आदि शक्ति का ये निवास है. शक्ति के हर रूप की जहां व्याख्या मिलती है, वहां उनका निवास इसी स्थान पर बताया गया है.
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योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इसकी पूरी रूप रेखा तैयार कराई थी. पहले चरण के लिए अनुमानित 300 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास अगस्त 2021 में गृहमंत्री अमित शाह ने किया था.
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दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही यहां पहुंचने का मार्ग संकरी गलियों से होकर जाता है. आस पास घनी आबादी है, इसलिए इस प्रोजेक्ट के तहत मंदिर के चारों तरफ पूरे गलियारे का निर्माण किया जाएगा.
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मंदिर के चारों तरफ 50 फीट का परिक्रमा पथ बनाया जाएगा. साथ ही चारों दिशाओं से मंदिर में पहुंचने के लिए सड़कों का 35 से 40 फीट तक चौड़ीकरण किया जाएगा.
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सबसे खास बात ये है काशी कॉरिडोर की तर्ज पर ही विंध्याचल कॉरिडोर के निर्माण के बाद विंध्यवासिनी मंदिर की सीढ़ियों से ही पास बहती मां गंगा के दर्शन हो सकेंगे.
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इसके साथ ही आस-पास कॉरिडोर बनाने के लिए हटाए गए मंदिरों को भी एक वॉल बनाकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार इस प्रोजेक्ट का अधिकांश काम पूरा कर सकती है.
प्रोजेक्ट को लेकर मिर्जापुर के कमिश्नर योगेश्वर राम मिश्र ने बताया, “यहां कई मंदिर मिले हैं…उनको एक वॉल बनाकर बाकायदा उसमें प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, उनको संरक्षित किया जाएगा. मां गंगा की तरफ जो रास्ता जाता है वो सिर्फ 5 फीट का था, पर उसका चौड़ीकरण कराया जाएगा. इस तरह की पहल से यहां के पर्यटन का विकास होगा और रोजगार भी बढ़ेगा.”
सहायक पर्यटन अधिकारी नवीन सिंह के अनुसार, “विंध्यवासिनी धाम का विकास ‘धार्मिक पर्यटन’ को बूस्ट करेगा. यहां पर्यटक और श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी. अभी जो लोग यहां संकरी गलियों के कारण नहीं आ पाते हैं, वो भी आ पाएंगे. नवरात्र के बाद इसका काम तेजी से शुरू हो सकता है, क्योंकि नवरात्र में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज्यादा होती है.”
विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने बताया, “ये मुख्यमंत्री जी की पहल के करण संभव हुआ है. बहुत ज्यादा मान्यता है विंध्याचल धाम की. यहां ज्यादातर मुंडन और यज्ञोपवीत संस्कार होता है. जो पंडे हैं, नाविक हैं, दुकानदार हैं उन सबका इससे रोजगार बढ़ेगा और सनातन धर्म को और उत्कर्ष मिलेगा.”
शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने के लिए BJP ने की ये तैयारियां, कार्यकर्ताओं को खास निर्देश
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