लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को जांच की निगरानी, निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है.
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का पुनर्गठन कर इसमें 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों – एसबी शिरोडकर, प्रीतिंदर सिंह और पद्मजा चौहान – को भी शामिल किया है. ये उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, जो मूल रूप से इस राज्य के नहीं हैं.
अब चार्जशीट दाखिल होने और रिटायर्ड जज से रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट मामले में आगे की सुनवाई करेगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में प्रति दिन के आधार पर राज्य की एसआईटी जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट की पसंद से नियुक्त पूर्व जज से कराने के उसके सुझाव पर सोमवार को सहमति जताई थी.
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
कोर्ट ने राज्य की सहमति का संज्ञान लेते हुए एसआईटी जांच में निम्न रैंक के पुलिस अधिकारियों के शामिल होने के मुद्दे को उठाया था और उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उन अधिकारियों के नाम भी मांगे थे, जो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं ताकि उन्हें जांच टीम में शामिल किया जा सके.
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा था, ‘‘इस कार्य बल के पुलिस अधिकारी कुछ अधिक उच्चतर ग्रेड के अधिकारी हों और लखीमपुर इलाके के नहीं हों…ज्यादातर सदस्य एस आई (उप निरीक्षक) हैं. ’’
बेंच ने कहा था, ‘‘आप कुछ आईपीएस अधिकारियों के नाम क्यों नहीं देते. हमारा मतलब सीधी भर्ती किए गए आईपीएस अधिकारियों से है जो यूपी कैडर से हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य से नहीं हैं.”
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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