लखीमपुर हिंसा के लिए कोर्ट ने नेताओं के विवादित बयानों को जिम्मेदार माना है. लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपी अंकित दास की बेल अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि जवाबी हलफनामे के मुताबिक, अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने विवादित बयान न दिया होता तो शायद यह घटना ना हुई होती और निर्दोष लोगों की जाने ना जाती.
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हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर हिंसा के आरोपी अंकित दास, सुमित जायसवाल, लव कुश और शिशुपाल की बेल अर्जी पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है ‘बड़े नेताओं को अपना बयान देने से पहले यह सोच लेना चाहिए कि उसका समाज पर क्या असर पड़ेगा. पद के विपरीत गैर जिम्मेदाराना ढंग से दिए गए बयानों से बचना चाहिए.’
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में साफ लिखा है कि जांच एजेंसी के हलफनामे के अनुसार, ‘अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने विवादित बयान ना दिया होता तो इतनी विभत्स और अमानवीय घटना में निर्दोषों की जाने ना जाती.’
कोर्ट ने आपने आर्डर में लिखा है कि ‘जब जिले में धारा 144 लागू थी तो कुश्त की प्रतियोगिता क्यों कैंसिल नहीं की गई? कोर्ट यह नहीं मान सकती कि इलाके में धारा 144 लागू है, इसकी जानकारी उपमुख्यमंत्री को नहीं थी, इस सब के बावजूद कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व उपमुख्यमंत्री इसमें शामिल हुए.’
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की जाट की तारीफ करते हुए कहा कि इस मामले में एसआईटी ने निष्पक्ष और वैज्ञानिक ढंग से जांच की है, इसका पूरा श्रेय एसआईटी को जाता है.
बता दें कि लखीमपुर हिंसा के बाद डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने मौके से मिले सीसीटीवी फुटेज, वायरल वीडियो, आरोपियों की कॉल डिटेल, मोबाइल टावर लोकेशन, आरोपियों के असलहों की एफएसएल जांच के आधार पर लगभग 5000 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की थी.
हाई कोर्ट में जस्टिस डीके सिंह की बेंच ने अंकित दास, लव कुश सुमित जायसवाल और शिशुपाल की बेल अर्जी को खारिज कर दिया है.
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