उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर यूपी एसटीएफ के संस्थापक सदस्य रहे रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय ने यूपी तक से खास बातचीत की है.
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साल 1998 में रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय की टीम की कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी से मुठभेड़ हो गई थी. यूपी एसटीएफ के 25 साल पूरे होने के मौके पर इस मुठभेड़ को याद करते हुए राजेश पांडेय ने बताया कि सत्येंद्र गुर्जर नामक एक बदमाश 2 हजार रुपये का इनामी था. उसका हमने पीछा किया. जब हम हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर के पास पहुंचे तो उसके साथ में मुन्ना बजरंगी था.
उन्होंने आगे बताया कि सत्येंद्र गुर्जर, मुन्ना बजरंगी और उसके गुर्गों ने पहले गोली चलाई फिर हमने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की. इस मुठभेड़ के दौरान मुन्ना बजरंगी को पुलिस की 9 गोलियां लगीं और 2 गोलियां सत्येंद्र गुर्जर को लगीं. फिर दोनों को मोर्चरी भेज दिया गया.
रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय ने बताया कि आधे घंटे में मोर्चरी का केयर टेकर मुन्ना बजरंगी को वापस इमरजेंसी वार्ड में लेकर आया. उसने बताया कि मुन्ना बजरंगी में अभी जान है. फिर मुन्ना बजरंगी का इलाज शुरू हुआ.
उन्होंने बताया कि जब मुन्ना बजरंगी का इलाज हो रहा था तभी मुख्तार अंसारी के बड़े वकील अस्पताल पहुंच गए. उसी रात में आदेश हुआ कि बिना तीन डॉक्टर के पैनल, बिना कैमरे या वीडियो रिकॉर्डिंग के मुन्ना बजरंगी को कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिया जाएगा.
राजेश पांडेय ने बताया कि मुन्ना बजरंगी की 8 गोलियां निकाली गईं. 9वीं गोली उसके दिल के आसपास कहीं फंसी हुई थी. लेकिन उसने उस गोली को निकालने के लिए अपनी सहमति नहीं दी. ये 9वीं गोली 20 साल बाद जब मुन्ना बजरंगी बागपत की जेल में मारा गया था, तब पोस्टमॉर्टम के दौरान उसके शरीर से निकली थी.
बता दें कि मुन्ना बजरंगी को मुख्तार अंसारी का खास शूटर माना जाता था. बागपत जेल में 9 जुलाई 2018 को मुन्ना की हत्या कर दी गई थी.
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