अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद कई तरह के सवालों की बाढ़ आई हुई है. इस बीच उनके पोस्टमॉर्टम की शुरुआती रिपोर्ट से पता चला है कि ऐस्फिक्सिया नरेंद्र गिरि की मौत का कारण बनी. ऐस्फिक्सिया सांस न ले पाने की स्थिति होती है.
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फिलहाल मामले की जांच जारी है, जिसमें ब्लैकमेलिंग का एंगल भी शामिल है. मसलन अगर कोई फोटो है, जिससे नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल किया जा रहा था तो वो फोटो कहां है, किसके पास है? इसको लेकर मामले में गिरफ्तार आनंद गिरि से पूछताछ की गई, लेकिन उसने फोटो की बात से इनकार कर दिया है.
बता दें कि इस मामले में सामने आए नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में फोटो वाली बात का जिक्र था. इसमें लिखा था,
”मैं महंत नरेंद्र गिरि वैसे तो 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर से, मोबाइल से किसी लड़की या महिला के (साथ) गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर फोटो वायरल कर देगा, मैंने सोचा कहां तक सफाई दूंगा, एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं वो गरिमा वाला पद है. सच्चाई (का) तो लोगों को बाद में (पता) चल जाएगा, लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा, इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. जिसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी एवं उनके लड़के संदीप तिवारी की होगी.”
पुलिस के पास नरेंद्र गिरि का एक वीडियो भी है, जिसमें तीनों गिरफ्तार आरोपियों (आनंद गिरि, आद्या प्रसाद और संदीप तिवारी) के नाम लिए गए हैं. वीडियो में सिर्फ नरेंद्र गिरि का चेहरा दिख रहा है. वीडियो उसी कमरे का है जिसमें शव मिला, कपड़े भी वही हैं, देखने से यह भी लग रहा है कि वीडियो खुद नरेंद्र गिरि ने बनाया था.
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को सल्फास की गोलियां भी मिली हैं, जो कथित तौर पर महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य से मंगवाईं थीं. बताया यह भी जा रहा है कि नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य ने रस्सी भी मंगवाई थी. सल्फास की गोलियों को पुलिस ने कब्जे में लेकर केमिकल जांच के लिए भेज दिया है.
शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र गिरि की मौत का समय 20 सितंबर को दोपहर 3 से 3:30 बजे के बीच का है, उनके शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान भी नहीं मिले हैं.
नरेंद्र गिरि इस बात को लेकर भी परेशान थे कि जब वह कोरोना संक्रमित हुए थे तो उनका सबसे प्रिय शिष्य रहा आनंद गिरि उनसे मिलने तक नहीं आया था, जबकि कई अन्य शिष्यों ने उस दौरान महंत की काफी सेवा की थी.
आनंद गिरि ने बताया है कि विवाद के बाद मई में नरेंद्र गिरि से समझौता हो जाने के बावजूद दोनों में दूरियां थीं, दोनों की आपस में बात नहीं हुई. ऐसे में पुलिस सीडीआर के जरिए भी पता कर रही है कि क्या आनंद गिरि सच बोल रहा है.
पुलिस ने कथित सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. मौके से महंत नरेंद्र गिरि के लिखे कई दस्तावेज मिले हैं, जिनको कब्जे में लेकर हैंड राइटिंग एक्सपर्ट को सौंपा गया है. ऐसे में अब रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि कथित सुसाइड नोट नरेंद्र गिरि ने लिखा था या किसी और ने.
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